साधना और तपस्या का पर्व नवरात्र का आरंभ 15 अक्टूबर वार रविवार से 23 अक्टूबर वार सोमवार को समापन होगा।
वैसे तो नवरात्र साल में चार बार पड़ते है।
माघ के महीने में जनवरी के आसपास,अप्रैल के महीने में चैत्र नवरात्र जिसे वासंतिक नवरात्र भी कहा जाता है।, जुलाई महीने के आसापास यानी आषाढ़ मास और अश्विन यानी अक्टूबर महीने के आसापास,जिसे शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। नवरात्र से वातावरण में सकारात्मकता आती है। नवरात्र उल्लास और उमंग का पर्व है।
नवरात्र में शक्ति यानी देवी की पूजा होती है। इसलिए इसे शक्ति की नवरात्र कहा जाता है।
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है इन देवियों को नवदुर्गा का स्वरूप माना जाता है हर देवी से विशेष तरह का आशीर्वाद और वरदान मिलता है
मां दुर्गे की पूजा आराधना से सभी प्रकार के ग्रह शांत होते हैं और समस्याओं का अंत होता है
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा तिथि को यानी प्रथम दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर प्रात:11:44 से दोपहर 12:30 रहेगा। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त मात्र 46 मिनट ही रहेगा।
घट स्थापना सुबह 6:30 से सुबह 8:45 तक। अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11:44 से दोपहर 12:30 तक अभिजीत मुहूर्त में देवी की स्थापना सबसे शुभ मानी जाती है।
देवी भागवत पुराण के अनुसार महालय यानी पितृपक्ष के दिन जब पितृगण पृथ्वी से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती है और उसी दिन से नवरात्र का आरंभ होता है माना जाता है कि हर बार माता अलग-अलग वाहनों पर आती है और इसी से भविष्य के लिए संकेत भी माना गया है यानी आने वाला साल कैसा रहेगा। इस साल माता का वाहन गजराज यानी हाथी है क्योंकि नवरात्र का आरंभ रविवार से हो रहा है देवी भागवत पुराण में कहा गया है कि रविवार और सोमवार को नवरात्र का आरंभ होने पर माता हाथी पर सवार होकर आती है,जिससे पूरे साल वर्षा का योग होता है कृषि अच्छी होती है और अन्न का भंडार भरता है।
वैसे तो मां अंबे का वाहन सिंह यानी शेर को माना गया है लेकिन नवरात्र के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी लोक पर आती है नवरात्र का विशेष नक्षत्र और योगी के साथ आना मनुष्य जीवन पर विशेष प्रभाव भी डालता है।
मां अगर हाथी पर सवार होकर आ रही है तो ढेर सारी खुशियां सुख समृद्धि उनके साथ आती है हाथी को ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना गया है देश में आर्थिक समृद्धि होगी धन और अन्न का भंडार भरेगा
माना जा रहा है कि इस साल नौ शुभ योग में नवरात्र का आरंभ हो रहा है और ऐसी स्थिति पिछले 400 सालों में अब तक नहीं बनी है। नवरात्र का हर दिन शुभ रहेगा नवरात्र के दौरान पूजा पाठ के साथ-साथ नए कामों की शुरुआत की जाती है खरीदारी की जाती है सबसे अच्छा संयोग इस बार यह बन रहा है कि पूरे 9 दोनों का शक्ति पर्व रहेगा
जिस दिन नवरात्र का समापन होगा यानि सोमवार 23 अक्टूबर को इस दिन स्वार्थ सिद्धि और रवि योग बनने से देवी की विदाई भी शुभ रहेगी
शास्त्रों के अनुसार हर आयु की कन्या का नवरात्र में अलग महत्व बताया गया है दो साल की कन्या को कुमारी कहा गया है इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता का नाश होता है तो वहीं तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी गई है इनके पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है चार साल की कन्या को माता का कल्याणी रूप माना गया है जिनकी पूजा से सुख समृद्धि मिलती है और सभी का कल्याण होता है पांच साल की कन्या रोहिणी मानी गई है जिनकी पूजा से रोग मुक्त होते हैं छ: साल की कन्या कालिका होती है माता के इस स्वरूप की पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है
सात साल की कन्या को चंडिका का माना गया है जो ऐश्वर्य प्रदान करती है आठ साल की कन्या शांभवी होती है इनकी पूजा यश और लोकप्रियता दिलवाती है नौ साल की कन्या माता दुर्गा का स्वरूप जिनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्याय कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है दस साल की कन्या सुभद्रा होती है जिनके पूजन से सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख शांति समृद्धि मिलती है
नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।