चंपावत जिले का शिक्षा विभाग अधिकारी विहीन हो गया है। आप पार्टी प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश बिष्ट ने प्रदेश में गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलवाने के लिए उच्च न्यायालय नैनीताल में एक जनहित याचिका दायर करी जन हित याचिका पर सुनवाई करने के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी चंपावत, जिलाधिकारी चंपावत व अन्य अधिकारियों को जारी किया नोटिस, 6 सप्ताह में मांगा जबाब। अगली सुनवाई 11 दिसंबर को है.
उत्तराखंड में गरीब छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले इस उदेश्य से उच्च न्यायालय नैनीताल में एक जनहित याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. शर्मा के माध्यम से दाखिल की थी, जिस पर आज न्यायालय में सुनवाई के उपरांत प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जबाब मांग गया है।
पठन पाठन की स्थिति सरकार की लापरवाही के कारण अत्यंत दयनीय
बिष्ट ने बताया यह किसी से छिपा नहीं है कि उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में पठन पाठन की स्थिति सरकार की लापरवाही के कारण अत्यंत दयनीय है।
राजेश बिष्ट ने बताया जिला चंपावत के कुछ स्कूलों का दौरा किया गया तो पता चला कि अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों के कई कई पद रिक्त हैं, कई स्कूल भवन इतने जर्जर हैं कि कभी भी कोई हादसा हो सकता है। चंपावत जिला जहां से हमारे मुख्यमंत्री रिकार्ड मतों से विधानसभा का चुनाव जीते उसी जिले में कुछ माह पूर्व एक जर्जर स्कूल के भवन के गिरने से एक बालक की मृत्यु हो गई थी तथा कुछ बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे,
इसके बावजूद इस घटना से भी प्रदेश सरकार ने सबक नही लिया। चंपावत जिले में कुछ माह पूर्व 8वी तक के बच्चो को दी जाने वाली सरकारी पुस्तके बड़ी संख्या में नाली में पड़ी मिली थी।
अधिकांश स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था सुचारु नहीं है, बिष्ट ने कहा स्कूलों के शौचालय इतने गंदे हैं कि उनका उपयोग करना बीमारी को न्योता देना है।
बिजली न होने के कारण कुछ स्कूलों में कंप्युटर धूल फांक रहे हैं, छात्रों को इंटरनेट की सुविधा नहीं मिल पा रही है, जो कि आज के जमाने अत्यंत आवश्यक है। खेल के मैदान नहीं होने के कारण बच्चे खेलकूद गतिविधियों से वंचित हैं। अगस्त माह तक बच्चो को यूनिफॉर्म ना मिलना।
विज्ञान,संस्कृत,गणित,अंग्रेज जैसे महत्वपूर्ण विषयो के शिक्षक न होना प्रदेश सरकार की खोखली शिक्षा प्रणाली की पोल खोलता है। बिष्ट ने कहा सरकार शिक्षा व्यवस्था में जरूरी सुधार करने के बजाय सरकारी स्कूलों को बंद करने में ज्यादा रुचि दिखा रही है।
पिछली त्रिवेंद्र सरकार ने 3000 स्कूल बंद किए और अब धामी सरकार ने भी बंद करने वाले स्कूलों की एक लंबी सूची तैयार कर दी है। कुल मिलाकर उत्तराखंड की धामी सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए तैयार नहीं है, यही कारण है कि हमको न्यायालय की शरण में जाना पडा है। बिष्ट ने बताया
लगभग 260 पेज की इस जनहित याचिका में स्कूलों के भ्रमण के दौरान लिए गए वह फोटोग्राफ भी शामिल हैं जो स्कूल भवनों की हालत, पेयजल व्यवस्था, गंदे शौचालयों जैसी अनेक अव्यवस्थाओं की हालत को दर्शा रहे हैं। जनहित याचिका में राजेश बिष्ट ने अपने अधिवक्ता के के शर्मा के माध्यम से माननीय न्यायालय से आग्रह किया है
कि चंपावत सहित राज्य के सभी विद्यालयों में शिक्षको के सभी रिक्त पदों पर शीघ्र तैनाती करवाने, जर्जर स्कूल भवनों के स्थान पर नए भवन बनवाने ताकि किसी भी छात्र व शिक्षक के साथ कोई अनहोनी ना हो, शौचालयों की सफाई के लिए सफाई कर्मचारी तैनात करवाने,। सभी स्कूलों में इंटरनेट, बिजली व पानी की सुविधा उपलब्ध करवाने, सभी विद्यालयों में पूर्णकालिक प्रधानाचार्य की नियुक्ति करने, स्कूल स्टाफ की समय से उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक मशीन लगाए जाने हेतु उत्तराखंड सरकार को आदेशित किया जाए।
माननीय न्यायालय से इस महत्वपूर्ण विषय पर समुचित न्याय मिलेगा इस की पूरी उम्मीद है।
जिले में खाली हैं शिक्षा अधिकारियों के ये 11 पद
मुख्य शिक्षाधिकारी, जिला शिक्षाधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा) और जिला शिक्षाधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) और लेखाधिकारी।
लोहघाट के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य।
चंपावत और लोहाघाट के खंड शिक्षाधिकारी।
चंपावत, लोहाघाट, पाटी और बाराकोट के उप शिक्षाधिकारी।
अधिकारियों की इस कदर कमी से शिक्षा व्यवस्था की निगरानी और नियंत्रण पर असर पड़ेगा। चंपावत जिले में 781 विद्यालयों 57 हजार से अधिक विद्यार्थी हैं। इसी माह विद्यालयों में अर्द्धवार्षिक परीक्षा होनी है। इस पर भी अधिकारियों की कमी का असर पड़ेगा।