कभी मजदूरी तो कभी होटल में वेटर बने रामबाबू का कमाल
एशियन गेम्स में 35 किमी पैदल चाल की मिश्रित टीम स्पर्धा में मंजू रानी के साथ कांस्य पदक जीतने वाले सोनभद्र के रामबाबू की सफलता संघर्षों से निकली है। पेट पालने के लिए उन्हें कभी मनरेगा में मजदूरी की तो कभी होटल में वेटर का भी काम किया। विपरीत हालातों के बावजूद हार न मानते हुए रामबाबू दृढ़ संकल्प के साथ कामयाबी का अध्याय लिखने में लगे रहे।
नतीजा मजदूर पिता के बेटे पर आज पूरा देश फख्र कर रहा है। रामबाबू के एशियन गेम्स में पदक जीतने की जानकारी बुधवार दोपहर तक घर वालों को नहीं थी। मां मीना देवी घरेलू कामकाज में लगी थीं जबकि पिता छोटेलाल खेत में घास काटने गए थे। करीब तीन बजे साइकिल पर घास लेकर लौटे तो बेटे की कामयाबी सुनकर इसे बयां भले ही नहीं कर पा रहे थे, लेकिन चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी।
बहुअरा के भैरवागांधी गांव निवासी रामबाबू के पिता छोटेलाल मजदूर किसान हैं। परिवार खपरैल के कच्चे मकान में रहता है। गांव के प्राथमिक विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा के बाद रामबाबू का चयन नवोदय विद्यालय में हो गया। रामबाबू का रुझान शुरू से ही खेलों में रहा। वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक देखकर उन्होंने धावक बनने का निर्णय लेते हुए गांव की पगडंडी पर ही दौड़ना शुरू किया। गांव में संसाधन न होने के चलते वह अभ्यास के लिए वाराणसी चले गए।
एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीतने वाले सोनभद्र के रामबाबू
अभ्यास के बाद खुराक के लिए पैसे नहीं थे तो एक होटल में वेटर का काम शुरू किया। इसी दौरान कोरोना के चलते होटल बंद हुआ तो घर आ गए। गांव में पिता के साथ मनरेगा में तालाब खोदने में लग गए, जिससे किसी तरह परिवार का खर्च चलने लगा। कोरोना से जब स्थितियां सामान्य हुईं तो रामबाबू भोपाल चले गए। वहां पूर्व ओलंपियन बसंत बहादुर राणा ने उन्हें ट्रेनिंग दी। कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत रामबाबू ने 35 किमी पैदल चाल की राष्ट्रीय ओपन चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। इसमें स्वर्ण पदक जीतने के साथ उन्हें राष्ट्रीय कैंप में जगह मिल गई।
प्रतिभाशाली रामबाबू पिछले साल तब चर्चा में आए, जब उन्होंने गुजरात में हुए राष्ट्रीय खेलों की पैदल चाल स्पर्धा में नए राष्ट्रीय रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने 35 किमी की दूरी महज 2 घंटे 36 मिनट और 34 सेकेंड में पूरी की। इससे पहले यह रिकार्ड हरियाणा के मुहम्मद जुनैद के नाम था। राष्ट्रीय खेल में जुनैद को हराकर ही रामबाबू ने स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद 15 फरवरी को रांची में आयोजित राष्ट्रीय पैदल चाल चैंपियनशिप में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2 घंटे 31 मिनट 36 सेकेंड का समय निकाला। 25 मार्च को स्लोवाकिया में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में प्रतिभाग करते हुए 2 घंटे 29 मिनट 56 सेकेंड में दूरी तय की।
राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद जब रामबाबू से उनकी इच्छा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने घर में पानी की समस्या का जिक्र किया था। रामबाबू ने कहा कि वह चाहते हैं, घर में एक हैंडपंप लग जाए, जिससे उनकी मां को एक किमी दूर पानी भरने न जाना पड़े। पदक लेकर जिले में पहुंचने के बाद डीएम चंद्र विजय सिंह ने रामबाबू की यह इच्छा पूरी करते हुए घर के पास हैंडपंप लगवा दिया।
खेती के लिए पिता को दस विस्वा जमीन भी पट्टा किया गया, जबकि घर बनाने के लिए एक विश्वा जमीन उपलब्ध कराई। इसी भूमि पर आवास बनाने के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत धनराशि प्रदान की गई। यह मकान अभी निर्माणाधीन है।