अनन्‍त भगवान करेंगे सभी संकटों को दूर, जानिए पूजा विधि शुभ मुहूर्त

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भादों मास शुक्‍ल पक्ष की चर्तुदशी तिथि को गणेश विर्सजन के साथ ही अनन्‍त चर्तुदशी का व्रत किया जाता है। जैसा कि नाम से ही स्‍पष्‍ट है जिसका न आादि है न अन्‍त है जो सभी संकटो को हरने वाले है ऐसे श्री हरि विष्‍णु ही अन्‍नत भगवान है। जिनकी पूजा से लम्‍बी आयु और अनन्‍त आयु वाले मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अनन्‍त संसार महासमुद्रे,मग्‍नं समभ्‍युद्धर वासुदेव।।

अन्‍नतरुपे विनियोजयस्‍व,हयनंतसूत्राय नमो नमस्‍ते।।

समुन्‍द्र के समान इस संसार में मैं डूब रहा हूं हे वासुदेव आप मेरी रक्षा करें मेरा उद्धार करें, आपका स्‍वरुप अनन्‍तआप मुझे अपने अंदर विनियोजित कर लें हे अनन्‍त भगवान आपको मेरा बार बार नमस्‍कार है। ऐसे है अन्‍नत भगवान जिनकी पूजा पूरे श्रद्धा और विश्‍वास के साथ की जाए तो सभी संकटों का नाश हो जाता है। इस बार अनन्‍त चतुदर्शी का व्रत 19 सितंबर 2021 रविवार को रखा जाएगा और इसी दिन गणेश विर्सजन भी किया जाएगा।

पूजा विधि और मुर्हूत चतुर्दशी का आरम्‍भ 19 सितंबर सुबह 6 बजे होगा,चतुर्दशी तिथि की समाप्ति 20 सितंबर 2021 को सुबह 5 बजकर 28 मिनट पर होगी। पूजा का शुभ मुर्हूत 19 सितंबर को सुबह 6 बजकर 8 मिनट से होगा।। सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर पूरे घर को गंगाजल से पवित्र कर एक सुन्‍दर चौकी पर कलश जिसे यमुना माता का स्‍वरुप माना जाता है स्‍थापित करें फिर गणेश जी की मूर्ति रखें साथ ही दुर्वा रखना ना भूलें क्‍योंकि दुर्वा को शेष नाग का प्रतिक माना जाता है, श्री हरि विष्‍णु की प्रतिमा स्‍थपित करें उस पर कलावा बांधे, फिर एक धागा लेकर उसे हल्‍दी,कुमकुमऔर केसर लगा कर 14 गांठों वाला सुत्र बनाए 14 गांठे 14 लोकों का प्रतीक माना जाता है जिसे व्रत पूरा होने के बाद विर्सजित किया जाता है रात का इसे उतारकर सोए। आजकल बाजारों में ये धागा मिल भी जाता है अन्‍नत भगवान की पूजा के नाम से। अक्षत कुमकुम रोली से पूजा अर्चना करें आरती उतारें। कई जगहों पर इस दिन महिलाएं गाज-बीज का व्रत भी रखती है, व्रत करने वाली महिलाएं आटे से दीया बाटी बनाती है जितने परिवार के सदस्‍य होते है उतनी ही दिया बाटी बनायी जाती है। फिर दियों को जलाकर उनकी पूजा करके भगवान सूर्यनारायण को दिखाया जाता है। कुछ महिलाएं पूरे दिन भूखी रहती है और कुछ महिलाएं एक समय का भोजन करती है बिना नमक का भोजन करती है। गजागडे बिना नमक की मोटी रोटी और खीर बनाने का विशेष महत्‍व होता है।संध्‍याकाल से पहले भोजन कर लिया जाता है।


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