मकर संक्रांति :तिल गुड़ का साथ हो ,खिचड़ी सी सौगात हो,लेख -डॉ कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी

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आज मकर संक्रांति है और पूरे भारत मे लोग बड़ी खुशी से खास त्य़ोहार को माना रहे है ,तो कुछ एसे भी लेखक है जो अपनी कविता के जरिए कविता मे मकर संक्रांति का महत्व बता रहे है .तो लेखक डॉ कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी D MAGAZINE INDIA को कविता भेजी है जो यहा प्रकाशित की गई है आप भी पढ़े ……..

तिल गुड़ का साथ हो ,
खिचड़ी सी सौगात हो,
लोहड़ी की धूम संग ,
संक्रांति मनाईये,

लम्बी पतंग की डोर,
लटाई हो दूजी छोर,
गगन नाप आईये,
पेंच खूब लडा़ईये,

गंगा में करें स्नान,
ध्यान, मान, अन्नदान,
सेवा सत्कर्म संग,
माघ में नहाईये,
अक्षत पुण्य पाईये,

भावों का काव्यांगन हो,
कविजन समागम हो ,
अपनीं ओज वाणी से
कविता सुनाईए,
संगम नहाईये,

डॉ कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी


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