नई दिल्ली. हरतालिका तीज और गणेश चतुथी के तीसरे दिन ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति और रजसवला स्त्री के लिए इस व्रत को करना अति उत़्तम माना गया है।
इस वर्ष ऋषि पंचमी का त्योहार 11 सितंबर 2021 शनिवार को मनाया जाएगा। इस व्रत में सप्त ऋषियों की पूजा का विशेष महत्व है। प्रात जल्दी स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छवस्त्र धारण कर शुभ मुहूर्त देखकर सातों ऋषियों की पूजा की जाती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सर्वप्रथम एक सुन्दर चौकी बनाकर उस पर बालु रेत या मिट़टी से सातों ऋषियों की मूर्ति बनाए और उनकी पूजा करें पूजा थाल में कुमकुम,अक्षत चंदन पुष्प माला और सामक के चावल जिसे मोरधान भी कहा जाता है उससे ऋषियों की पूजा करें। पंचमी तिथि का आरम्भ 10 सितंबर की रात 9बजकर57 मिनट पर होगा,पंचमी तिथि का समापन दूसरे दिन यानि 11 सितंबर 2021 , शाम 7बजकर 3 7 मिनट पर होगा, ऋषि पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा इसके अलावा आप पंचाग अनुसार चौध्घडिया देखकर भी पूजा कर सकते है।
इस व्रत को घर के सभी सदस्य कर सकते है विशेष रूप से पति पत्नि अगर करते है तो भी अच्छा रहता है। पौराणिक कथाओं में कहा गया है रजस्वला स्त्री यानि मासिक धर्म के दौरान घर की औरतों द्वारा छूआछूत से जो पाप लगता है तो इस व्रत को करने से अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। वत्स बारस की पूजा कैसे करें, जानें पूजा विधि और सबकुछ उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राष्ट्रपति को सौंपा इस्तीफा, लड़ सकती हैं यूपी का चुनाव