Uttrakhand :पर्यटकों के लिए बंद हुई ‘फूलों की घाटी’, इस साल इतने लोगों ने किया दीदार

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 गोपेश्वर: विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। यात्रा के अंतिम दिन कोई भी पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार करने नहीं पहुंचा। वन विभाग की टीम ने ही घाटी का भ्रमण कर लौटते हुए घांघरिया में फूलों की घाटी का मुख्य प्रवेश द्वार बंद कर इस वर्ष की यात्रा का समापन किया।

इस वर्ष अब तक 13161 पर्यटक फूलों की घाटी का सैर कर चुके हैं। जिससे नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क को 2,093,300 की आमद हुई है। विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी एक मई को पर्यटकों के लिए खुलती है जबकि 31 अक्टूबर को घाटी पर्यटकों के लिए बंद हो जाती है। इस वर्ष फूलों की घाटी में रिकॉर्ड तोड़ विदेशी पर्यटक आए हैं।

बर्फबारी से बंद हो जाता है रास्ता

फूलों की घाटी में शीतकाल में बर्फ पड़ने के साथ रास्ता भी बंद हो जाता है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के प्रभागीय वनाधिकारी वीवी मार्तोलिया ने बताया कि फूलों की घाटी में कपाट बंदी के दिन कोई भी पर्यटक यहां नहीं पहुंचा था। वन विभाग की टीम ने ही घाटी का भ्रमण कर शीतकाल के लिए फूलों की घाटी का प्रवेश द्वार बंद किया ।

विदेशी पर्यटकों की संख्या ने तोड़ा रिकॉर्ड

फूलों की घाटी में इस वर्ष पर्यटकों की संख्या काफी कम रही है। हालांकि विदेशी पर्यटकों के मामले में इस वर्ष का अब तक का रिकॉर्ड टूटा है। बीते वर्ष फूलों की घाटी में सर्वाधिक 20547 पर्यटक पहुंचे थे। जिसमें से विदेशी पर्यटकों की संख्या 280 थी। इस वर्ष कुल पर्यटकों की संख्या 13161 है । जो कि पिछले साल की संख्या में काफी कम है।

इस वर्ष 12760 भारतीय पर्यटकों ने घाटी की सैर की। विदेशी पर्यटकों की बात करें तो इस वर्ष जमकर विदेशी पर्यटकों ने घाटी की सैर की है। विदेशी पर्यटकों में 401 पर्यटकों ने घाटी की सैर की जो कि अब तक फूलों की घाटी में गए विदेशी पर्यटकों की संख्या में सबसे अधिक है।

यह है खास

फूलों की घाटी में पांच सौ से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। 87.50वर्ग किमी में फैली फूलों की घाटी जैव विविधता का खजाना है। यहां पर हर 15 दिन में अलग प्रजाति के फूल खिलने से घाटी का रंग भी बदल जाता है।

ऐसे हुई थी घाटी की खोज

फूलों की घाटी की खोज 1931 में विदेशी पर्यटक फ्रैंक स्मिथ ने कामेट पर्वतारोहण के दौरान रास्ता भटकने पर यहां पहुंचने की दौरान की थी। उन्होंने वैली ऑफ फ्लावर पुस्तक लिखकर देश दुनिया को फूलों के संसार से रुबरु कराया थ्ज्ञा। घाटी को 2005 में विश्व धरोहर का दर्जा मिला था।


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