नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।। माता के इस रूप की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है,,हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है।। माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी देवियों की पूजा का फल मिलता है।। इस तिथि को महानवमी भी कहा जाता है।।
इस दिन शक्ति की पूजा की जाती है।। जिससे ि नशिचत रूप से विजय की प्राप्ति होती है।। नवमी तिथि के दिन मां सरस्वती की भी पूजा आराधना का महत्व है जिससे भक्त को विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।। मां के कमल पर बैठी हुई देवी का ध्यान करें।। मां की पूजा -उपासना से भक्तों को यश,धन और बल की प्राप्ति होती है।। मां के पास अणिमा,महिमा,प्राप्ति,प्रकाम्य,गरिमा,लघिमा, ईशित्व और वशित्व आठ प्रकार की सिद्धियां है।
। मां को सुगंधित पुष्प भेंट करें।। मां के समक्ष दीपक जलाकर नौ कमल के पुष्प अर्पित करें।। और इन फूलों को अगली नवरात्र तक अपने पास रखें।। नवरस युक्त भोजन भेंट करें।। माता को मधु यानि शहद अपर्ण करें।। मां को मौसमी फल,मौसमी सब्जियों का भोग लगाएं।। इसके साथ ही खीर,पूड़ी,चना और हलवे का भी भोग लगाएं।।ऊं सिद्धिदात्री देव्यै नम: का जाप करें।। या ऊं ह्रीं दुर्गाय नम: का जाप करें।।मां सिद्धि और मोक्ष की देवी है।। मां महालक्ष्मी की तरह कमल पर विराजमान है,मां के चार हाथ है, जिसमें शंख,गदा,पद्मकमल का पुष्प और चक्र धारण किए हुए है।
। माता सिद्धिदात्री की उपासना करने से यक्ष,किन्नर,नाग,देवी-देवता और मनुष्य सभी सिद्धियों को प्राप्त करते हैं।। नव ग्रहों की शांति के लिए मां के सामने चौमुखी दीपक जलाए और लाल फूल या कमल का फूल अर्पित करें।। मिश्री,हरी सौंफ,गुड़,केला,दही,पान का पत्ता और घी चढ़ाऐं।।नवमी तिथि को बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ माना जाता है क्योंकि इसे आध्यात्म का रंग माना गया है वैसे आप लाल रंग भी पहन सकते है क्योंकि माता को लाल रंग तो हमेशा से प्रिय है।। लाल रंग को शक्ति,तेज,बल,ऊर्जा और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
। नवमी तिथि को कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।। वैसे तो नवरात्र के पूरे नौ दिन तक कन्याओं को भोजन करवाना चाहिए अगर ऐसा ना हो तो अष्टमी तिथि और नवमी तिथि को तो दो से 11 वर्ष की कन्याओं की पूजा करें और भोजन अवश्य करावें।। लोगों ने कलश स्थपित किया है वे लोग उस पर रखें नारियल को हटा कर जल को पूरे घर में छिड़काव कर दें,,नारियल को हवन-यज्ञ करने क बाद प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
। कुछ लोग नवमी के समापन के बाद व्रत का भी पारण कर देते है और कुछ लोग दशहरे के दिन व्रत का पारण करते है,,ये अपने-अपने कुटूम्ब की परंपरा पर निर्भर करता है।। नवरात्र के नौ दिन किसी कारणवश आप माता रानी की पूजा ना कर पाएं हो तो नवरात्र के अंतिम दिन यानि की नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना जरूर करें इससे आपको पूरे नवरात्रों का फल अवश्य मिल जाएगा।। जय मां जगदम्बें,जय मां भवानी।।