बागेश्वर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम आने पर बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन संघर्ष समिति की उम्मीदें बढ़ गई हैं। लगभग 20 वर्ष से रेल लाइन निर्माण के लिए आंदोलन कर रहे समिति ने प्रधानमंत्री से मुलाकात का निर्णय लिया है।
छह सदस्यीय टीम भी गठित कर ली है। वह 12 अक्टूबर को पिथौरागढ़ जाएंगे और प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश करेंगे। उन्हें रेल लाइन निर्माण के लिए बजट देने को ज्ञापन भी सौंपेंगे। वर्ष 2004 में बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन की मांग उठी। स्व. गुसाई सिंह दफौटी ने संघर्ष समिति गठित की। चार बार दिल्ली जंतर-मंतर पर धरना दिया। आमरण अनशन, जुलूस, 84 दिन का क्रमिक अनशन किया।
सात बार हुआ सर्वे
तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी और लालू प्रसाद यादव ने सर्वे का झुनझुना थमाया। सात बार सर्वे हुई। राष्ट्रीय धरोहर की घोषणा की। लेकिन रेल लाइन सर्वे में उलझ कर रह गई। बीते विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेल लाइन की हल्द्वानी से घोषणा की और सर्वे का काम पूरा हो गया है। अब उनसे बजट की उम्मीद है।
कब-कब हुई रेल लाइन सर्वे
टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अंग्रेजी हुकुमत से लेकर आज तक मार्ग की सात बार सर्वे हो चुकी है। 1882 में सबसे पहले इस मार्ग की सर्वे हुई। इसके बाद वर्ष 1912, 1980, 2006, 08, 09, 2012 और 2022-23 में सर्वे हुई। 2011-12 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय महत्व की परियोजना में शामिल किया था।
इन जिलों के लिए सामरिक दृष्टि से जरूरी है रेल लाइन
रेल संघर्ष समिति के अध्यक्ष नीमा दफौटी के अनुसार, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत और पिथौरागढ़ जिले के लिए यह रेल लाइन सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। कैलाश मानसरोवर यात्रियों को भी लाभ मिलेगा। समिति के छह लोग प्रधानमंत्री से मिलने जा रहे हैं। उनसे बजट मिलने की उम्मीद है।