नवरात्रि का शुभ मुहूर्त और नवसंवत्‍सर

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होली के बाद अब साल में दो बार आने वाले नवरात्र मां की आराधना का वो समय है जिसे उनके भक्‍त पूरी श्रृद्धा के साथ मनाते हैं। होली बीतने के साथ ही मां के नवरात्र का इंतजार और तेजी से बढ जाता है। वैसे तो साल में पांच नवरात्र आते हैं, लेकिन दो नवरात्र पर ही मां की आराधना बड़े स्‍तर पर की जाती है। सनातन धर्म में चैत्र, आषाढ, अश्विन, पौष और माघ नवरात्र होते है। आषाढ, पौष और माघ नवरात्र को गुप्‍त नवरात्र कहा जाता है। प्रमुख रुप से शारदीय नवरात्र जो अशिवन मास में और वासंतिक नवरात्र जो कि चैत्र मास में मनाए जाते हैं। चैत्र मास को नवरात्रों को चैत्र नवरात्र के नाम से ज्‍यादा जाना जाता है।

कब से है चैत्र नवरात्र – इस बार चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से आरम्‍भ होकर 22 अप्रैल तक चलेंगें। 21 को राम नवमी के साथ नवमी पूजन किया जाएगा। इसी दिन भगवान राम का जन्‍म भी हुआ था। प्रत्‍येक वर्ष चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा से नववर्ष की शुरूआत भी हो जाती है। इस दिन नया साल भी मनाया जाता है। इस वर्ष तिथि 13 अप्रैल को आ रही है। इसी दिन नव वर्ष की भी शुरुआत होगी और चैत्र नवरात्र भी शुरु हो जाएंगें। इस वर्ष से नवसंवतसर 2078 भी शुरु हो जाएगा।

घटस्‍थापना का सही मुहूर्त

इस साल चैत्र नवरात्रि में घटस्‍थापना मंगलवार को हो रही है। जिसमें

घटस्‍थापना का मुहूर्त सुबह 5.58 से 10.14 तक

अवधि- 4 घंटे 16 मिनट

घटस्‍थापना अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11.56 से 12.47 तक अवधि- 51 मिनट

इस दिन से शुरु हो जाएंगें मंगल कार्य

चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा पर नववर्ष की शुरुआत होते ही मांगलिक कार्य भी शुरु हो जाते हैं। इस वर्ष 13 मार्च को खरमास की शुरुआत हुई थी, जो 14 अप्रैल तक चल रही है। उसके बाद विवाह, नामकरण, सहित सभी शुभ कार्य शुरु हो सकते हैं।

क्‍यों मनाया जाता है

इसी दिन से हिंदुओ का नया साल नव संवतसर भी प्रारम्‍भ होता है, जिसे कई जगह गुडी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा पर शुरु होने वाले नववर्ष को लेकर अलग अलग मान्‍यताएं हैं। जैसे कुछ लोग मानते हैं कि

1- दुर्गा माता के आदेश पर ब्रहमा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। तभी से इस दिन नवसंवतसर मनाया जाता है।

2- युधिष्‍ठर का राज्‍या अभिषेक, विक्रमादित्‍य ने शको को पराजित किया था। जिनकी स्‍मृति में विक्रम संवत को प्रारंभ किया गया था।


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