बदायूं के उझानी में पिछले कई दिनों से बुखार के मरीजों की संख्या में इजाफा होने के बाद लोग देशी नुस्खे आजमाने लग गए हैं। ऐसे ही नुस्खों में खासकर डेंगू के दौरान बकरी के दूध के इस्तेमाल का शोर मचा तो उसकी डिमांड बढ़ गई। जिससे बकरी के दूध की कीमत दोगुनी हो गई। उझानी इलाके में बकरी का दूध 100 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है।
बकरी का दूध करीब 20 दिन पहले तक 50 रुपया प्रति लीटर के रेट से आसानी से उपलब्ध हो जाता था। उझानी में बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ी तो बकरी के दूध की मांग भी बढ़ने लगी। यहां रेलवे स्टेशन और बकरियों वाले नखासे, बहादुरगंज मोहल्ला समेत गंजशहीदा में बकरी का दूध करने के लिए मरीजों के परिजन पहुंच जाते हैं
रेलवे स्टेशन पर दूध गहाई कराते मिले गांव अढौली निवासी चंद्रवीर ने बताया कि उसके पास 25 से अधिक बकरियां हैं। इनमें डेढ़ दर्जन दूध दे रही हैं, लेकिन पिछले दिनों डिमांड बढ़ी तो खरीदार बढ़ते गए। इन दिनों चाय और अन्य तरीके से घरेलू इस्तेमाल की बजाय लोग उसे दवा के रूप में प्रयोग करने का ले जा रहे हैं। हालांकि चिकित्सक इस तरह का कोई दावा नहीं करते हैं।
औषधीय फायदे
उझानी के आयुर्वेदाचार्य नवनीत शर्मा के अनुसार बकरी के दूध में वसा की मात्रा कम होती है, कैल्सियम और फास्फोरस अधिक मात्रा में पाया जाता है। फैट कम होने से यह डेंगू के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। क्योंकि डेंगू का मरीज जितनी मात्रा में तरल पदार्थ लेगा, उतनी जल्द ही स्वस्थ होगा। ये सब चीजें बकरी के दूध में पाई जाती हैं।
इसमें विटामिन ए और बी की बहुतायत होती है। ये दोनों बाल झड़ने की समस्या से भी निजात दिलाने में उपयोगी बताए जाते हैं। बकरी दूध हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के साथ स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखता है। इसमें औषधीय गुण भी होते हैं। इसमें लिनोलिक एसिड मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देता है।
डिप्टी सीएमओ ने ये कहा
डिप्टी सीएमओ डॉ. निरंजन सिंह बताते हैं कि मेडिकल लाइन में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके आधार पर कहा जा सके कि बकरी का दूध पीने से प्लेटलेट्स बढ़ने लगते हैं। दरअसल, डेंगू में सबसे ज्यादा दिक्कत प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट होते रहने से आती है।
उन्होंने बताया कि कभी-कभी प्लेटलेट्स 10 हजार ही रह जाती हैं, लेकिन मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं हो तो ज्यादा दिक्कत नहीं आती। मरीज को मूवमेंट नहीं रखना चाहिए। डेंगू का वायरस छह दिन तक प्रभाव डालता है। इसके बाद मरीज धीरे-धीरे सामान्य होने लगता है। वैसे भी, कोई भी बुखार प्लेटलेट्स कम कर सकता है।