जिया-उल-हक की राह पर असीम मुनीर, क्या पाकिस्तान में होने वाला है तख्तापलट? पढ़ें पूरी खबर…

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आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान की कमान अब वहां के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर ने अपने हाथों में ले ली है. बीते शनिवार को असीम मुनीर ने पाकिस्तान के टॉप उद्योगपतियों के साथ एक बैठक की. इस दौरान उन्होंने देश की माली हालात सुधारने को लेकर नितियां बनाने पर चर्चा की.

यह घटनाक्रम तब हुआ जब पिछले हफ्ते पाकिस्तानी व्यापारी देश में आर्थिक तंगी को लेकर हड़ताल पर चले गए. दरअसल, पाकिस्तान अपने अब तक के सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है. दिनचर्या वाली चीजों के दामों में बेतहासा वृद्धि हुई है. डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया अब तक के अपने सबसे नीचले स्तर पर है.

पाकिस्तान में 1 यूएस डॉलर की कीमत 306 पाकिस्तानी रुपए के बराबर पहुंच गई है. पूरे पाकिस्तान में व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं है. देश में पूरी तरह अराजकता का माहौल बना हुआ है. लोग सड़कों पर हैं और प्रदर्शनकारी सड़कों पर टायर जलाकर अपना सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त कर रहे हैं.

शीर्ष व्यापारिक समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 60 प्रमुख व्यवसायियों के साथ बैठक के दौरान, जनरल मुनीर ने कई मामलों को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं. जनरल मुनीर ने ईरान और अफगानिस्तान से होने वाली तस्करी गतिविधियों पर चिंता जाहिर की और व्यवसायियों को आश्वासन दिया कि इस तरह के अवैध व्यापार को रोकने के लिए तत्काल उपाय किए जाएंगे.

उन्होंने देश के डॉलरीकरण को रोकने और पाकिस्तानी मुद्रा को मजबूत करने का वादा किया. पाक सेना प्रमुख ने समानांतर अर्थव्यवस्था में सुधार करने और कर दाखिल नहीं करने वाले लोगों को कराधान प्रणाली में लाने की प्रतिबद्धता जताई. उन्होंने राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के निजीकरण की योजना की भी घोषणा की, जिसमें कुशल प्रबंधन के लिए बीमार इकाइयों को निजी संस्थाओं में स्थानांतरित करने की तैयारी है.

जिया-उल-हक की राह पर असीम मुनीर

जनरल असीम मुनीर का कराची में शीर्ष व्यवसायियों के साथ हालिया जुड़ाव पूर्व सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक के समय की याद दिलाता है. 1978 से 1988 तक अपने शासन के दौरान, जिया-उल-हक ने सभी गैर-सैन्य क्षेत्रों में दखल दिया, जिसमें देश की आर्थिक नीतियों को प्रभावित करने के प्रयास भी शामिल थे.

कुख्यात पाक तानाशाह ने 1986 में कराची में व्यापारियों के एक समूह के साथ पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए इसी तरह की बैठक की थी. उस समय देश के ऊर्जा संकट पर चर्चा के लिए जिया-उल-हक ने 1987 में लाहौर में उद्योगपतियों के एक समूह से भी मुलाकात की थी.


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