- तीरथ की कैबिनेट में शामिल हुए 11 मंत्री
- मदन कौशिक को बनाया गया नया प्रदेश अध्यक्ष
आखिरकार नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद पिछले 48 घंटे में उत्तराखंड सरकार से लेकर बीजेपी में कई बड़े बदलाव हुए हैं। एक ओर प्रदेश अ ध्यक्ष बंशीधर भगत को हटाकर उनकी जगह सरकार में मौजूद मदन कोशिक को संगठन को नए सिरे से पिरोने की कोशिश की गई है तो वहीं दूसरी ओर सरकार में भी कई नए चेहरों को जगह देकर बीजेपी ने नाराजगी दूर करने का प्रयास किया है। लेकिन सवाल ये है कि क्या इन सभी बदलावों से सरकार और पार्टी स्तर पर फैली नाराजगी दूर हो पाएगी।
दरअसल त्रिवेंद्र रावत को बीजेपी को मुख्यमंत्री पद से हटाना ही इसलिए पड़ा था क्योंकि पार्टी से लेकर सरकार में उनके कामकाज की शैली को लेकर बड़ी नाराजगी थी। एक ओर सरकार में कैबिनेट में कई पदों के खाली होने के बावजूद वो नए मंत्रियों को नहीं ला रहे थे वहीं बीजेपी के सूत्र ये भी बता रहे हैं कि उन्होंने संगठन को भी सुनना कम कर दिया था। उनके जाने का कारण इन्हीं बड़ी वजहों को माना जा रहा है।
लेकिन तीरथ सिंह रावत ने एक साथ कई बदलाव कर संगठन से लेकर सरकार में फैली नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया है। सबसे पहले उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष रहे बंशीधर भगत को संगठन से तो हटाया वो नाराज न हो इसलिए उन्हें सरकार में ले आया गया। इसके अतरिक्त पुराने मंत्रियों के साथ साथ तीन नए मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई।
जिन पुराने मंत्रियों को शपथ दिलाई गई उनमें सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, यशपाल आर्य, रेखा आर्य, सुबोध उनियाल, अरविंद पांडे और हरक सिंह रावत को कैबिनेट में जगह दी गई। वहीं जिन लोगों को नया मंत्री बनाया गया है उनमें नैनीताल से विधायक और प्रदेश अध्यक्ष रहे बंशीधर भगत, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और डीडीहाट से विधायक बिशन सिंह चुफाल, मसूरी से विधायक गणेश जोशी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। यही नहीं यतीश्वरानंद जो कि हरिद्वार से विधायक हैं उन्हें स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री बनाया गया है।
तीरथ सिंह रावत ने पूरी कैबिनेट के जरिए गढवाल और कुमाउं के समीकरण को भी साधने की कोशिश की है। जिससे किसी भी इलाके में ये संदेश न जाए कि एक ही जगह से ज्यादा लोगों को मंत्री बनाया गया है। इसमें कुंमाऊ से बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल, यशपाल आर्य, अरविंद पांडे, और राज्यमंत्री रेखा आर्य शामिल हैं। वहीं गढवाल से सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, राज्य मंत्री धन सिंह रावत और यतीश्वरानंद शामिल हैं।
अब देखने वाली बात तो ये होगी कि जबकि अगले साल उत्तराखंड में चुनाव हैं तो ऐसे में इन नए प्रयासों से तीरथ सिंह रावत को सरकार से लेकर संगठन को साधने में कितनी मदद मिलती हैं।