दरोगा की हत्या:गोली लगने के बाद चार मिनट तक तड़पते रहे एसआई, मरने से पहले यह थे अंतिम बोल..

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उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में दरोगा दिनेश मिश्रा के नौकर ने ही गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। हत्यारोपी धीरज ने बताया कि मैं नशे में था। एक देशी शराब के ठेके में छह क्वाटर शराब पीने के बाद बिल्कुल भी होश नहीं था। रास्ते में लौटते के दौरान दरोगा से बाथरूम आने की बात कहकर बाइक को रुकवाई। वहां पर नशे में दोबारा बहस हो गई। इसके बाद उन्हें सीधे तमंचे से गोली मार दी।

गोली मारने के बाद दरोगा करीब चार से पांच मिनट तक वहीं पड़े तड़पते रहे। इसके बाद उनके अंतिम बोल थे कि धीरज तुमने अच्छा नहीं किया। इसके बाद वह सीधे जमीन पर औंधे मुंह गिर गए। बताया कि एक बार दरोगा ने उसे पीटा भी था। 

बताया कि दरोगा सैलरी नहीं दे रहे थे। जरूरत होने पर बार-बार रुपये मांगने पर एक बार उसे पीट भी दिया था। इसके कारण वह मन ही मन में कुंठित रहने लगा था। पुलिस की पूछताछ में धीरज ने अपने बचाव में दरोगा के परिवार के एक सदस्य को शक के घेरे में ला दिया। लेकिन, पुलिस की जांच में सारे आरोप निराधार मिले।

यह था पूरा मामला

दरोगा दिनेश मिश्रा हत्याकांड का पुलिस ने 36 घंटे में खुलासा कर दिया। पुलिस ने हत्यारोपी को गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही पर हत्याकांड में प्रयुक्त तमंचा बरामद किया। नौकर धीरज ने ही दरोगा की हत्या की थी। आरोपी का कहना है कि दो महीने से दरोगा वेतन नहीं दे रहे थे। इसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था। हत्या के बाद खुद ही पुलिस व परिजनों को सूचना दी, जिससे वह बच सके। पुलिस ने आरोपी को जेल भेजा है।

हत्या का खुलासा करते हुए एसपी ग्रामीण कुमार रणविजय सिंह ने बताया कि दरोगा की हत्या के बाद से ही पूरे जिले में अलर्ट कर दिया गया था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने चार टीमें गठित कर शीघ्र खुलासा करने के निर्देश दिए थे। घटना के बाद सबसे संदिग्ध नौकर धीरज ही लग रहा था। इस कारण उसे हिरासत में लिया गया था। उससे आठ घंटे से ज्यादा कई लोगों ने पूछताछ की। काफी समय तक उसने पुलिस को गुमराह किया, लेकिन सख्ती दिखाई तो वह टूट गया। उसने हत्या की बात स्वीकार की है। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त तमंचा भी बरामद कर लिया।


 एसपी के अनुसार पूछताछ में धीरज ने बताया कि वह दरोगा के पास तीन माह पूर्व अरांव आया था। उनके घर का काम करने व लिखापढ़ी में सहयोग के लिए दरोगा ने उसे 10 हजार रुपये महीने पर रखा था। एक महीने की तो पगार उसे दे दी, लेकिन पिछले दो माह के वेतन को लेकर दरोगा से आए दिन कहासुनी हो रही थी। बताया कि एक दिन दरोगा ने उसकी बेइज्जती कर दी। इसके बाद उसने उन्हें ठिकाने लगाने की सोच ली। 


 तीन अगस्त को वह सब्जी लेने के बहाने दरोगा की बाइक पर उनके साथ गया। जब दरोगा चंदपुरा में विवेचना कर रहे थे, तभी उसने गांव में स्थित ठेके से शराब खरीद कर पी। जिस से वह नशे में धुत्त हो गया। उप निरीक्षक उसको बाइक पर बैठाकर चौकी की तरफ चल दिए। इसी दौरान चंदपुरा व पीथेपुर के बीच लघुशंका के बहाने बाइक रुकवाई। वहीं पर दरोगा से रुपये को लेकर कहासुनी हो गई। नशे में होने के कारण उसने अपने पास रखे तमंचा से दरोगा की गर्दन में सटाकर फायर कर दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।


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