23 साल बाद जेल से छूटा ये डकैत, मंदिर पर चढ़ाया 111 किलो का घंटा, देखने वालों की उमड़ी भीड़

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शाहजहांपुर; आपने डकैतों वाली फिल्में खूब देखी होंगी. लेकिन एक दौरा था जब हकीकत में डकैतों के कई गिरोह प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में सक्रिय थे. इसी में से एक गिरोह कल्लू डकैत का था. कल्लू डकैत का गिरोह पश्चिम यूपी के बरेली, शाहजहांपुर, कासगंज सहित कई जिलों में 1990 के दशक में सक्रिय रहा.

उस दौरान कल्लू गिरोह की सबसे मजबूत कड़ी नज्जू डकैत को माना जाता था. डकैती, लूट, हत्या, अपहरण, फिरौती जेसै आपराधिक कार्यों में महारत हासिल करने वाला नज्जू डकैत, अपने गिरोह के सरगना कल्लू का सबसे खासमखास माना जाता था. 1990 के दौरान एक ऐसा वक्त था जब पश्चिम यूपी के लोग नज्जू डकैत के नाम से खौफ खाते थे. लेकिन अब वही खूंखार नज्जू डकैत 23 साल बाद जेल से बाहर आ गया है.

कब हुई थी नज्जू की गिरफ्तारी ?

नज्जू डकैत 31 जुलाई को भले ही जेल से बाहर आ गया हो. लेकिन एक दौर था जब उसके अपराधों की चर्चा पश्चिम यूपी में सबसे अधिक होती थी. नज्जू ने 1980 से 2000 के दरमियान एक के बाद एक कई बड़े अपराधों को अंजाम दिया. लेकिन एक कहावत है कि हर चीज का एक निश्चित समय होता है.

नज्जू को अपराध की दुनिया खूब भा रही थी. हत्या, फिरौती, लूट, अपहरण की घटनाओं को अंजाम देने वाले नज्जू ने 1999 में दारोगा विजय पाठक की हत्या कर दी. जिसके बाद पुलिस ने उसके ऊपर शिकंजा कसना शुरू किया. कई थानों की पुलिस ने नज्जू की गिरफ्तारी को लेकर दबिश देना शुरू कर दिया. जिसके बाद एनकाउंटर की डर से नज्जू ने 2000 में आत्मसमर्पण कर दिया. अदालत ने उसे 23 साल की सजा सुनाई.

नज्जू के खिलाफ दर्ज हैं 80 मुकदमा
अपने जमाने में अपराध जगत का बेताज बादशाह रहा नज्जू डकैत के अपराधों की फेहरिस्त लंबी है. उसके खिलाफ 1 या 2 नहीं बल्कि 80 मुकदमें गंभीर धाराओं में दर्ज हैं. यह सभी मामले डकैती, फिरौती, अपहरण, छिनैती, हत्या, लूट जैसे संगीन अपराधों के हैं. नज्जू ने इन सभी वारदातों को पश्चिम यूपी में 1980 से 1999 के दरमियान अंजाम दिया था.

7 लोगों का अपहरण कर फैलाई थी सनसनी

शाहजहांपुर जिले के थाना परौर क्षेत्र के गांव मंझा निवासी नज्जू डकैत लगभग डेढ़ दर्जन बदमाशों के साथ एक बार कासगंज में मरुधर एक्सप्रेस ट्रेन पर धावा बोल दिया. असलहों से लैस नज्जू व उसके साथियों ने ट्रेन में सवार यात्रियों के साथ जमकर लूटपाट की. इतना ही नहीं लूट के बाद उसने 7 लोगों का अपहरण भी कर लिया. कहा जाता है कि तब नज्जू ने उन सभी लोगों का उपहरण इसलिए किया था ताकि दस्यु जगत में उनका नाम और बड़ा हो सके.

जेल से रिहा होने के बाद मंदिर में चढ़ाया 111 किलो का घंटा
31 जुलाई 2023 को नज्जू को कोर्ट द्वारा दी गई 23 साल की सजा खत्म हो गई. नज्जू रिहा होकर अपने गांव पहुंच चुका है. जेल से रिहाई होने के बाद उसने अपने गांव के मंदिर पर 111 किलो का घंटा चढ़ाया. उसे देखने के लिए भारी जन सैलाब उमड़ पड़ा. नज्जू ने वहां मौजूद सभी लोगों से हाथ जोड़कर माफी मांगी और कहा कि अब वह बचा हुआ जीवन साधारण तरीके से गुजारना चाहता है.

नज्जू का स्वागत करने पहुंचे बीजेपी विधायक

कभी जो लोग नज्जू के नाम से खौफ खाते थे, वही लोग उसकी रिहाई के देखने पहुंचे थे. अब नज्जू अपने इलाके में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं. यही कारण है कि नज्जू का स्वागत करने के लिए क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित लोगों के साथ कटरा विधानसभा से भाजपा विधायक वीर विक्रम सिंह भी पहुंचे. उन्होंने नज्जू का गर्मजोशी से स्वागत किया.


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