सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को लखनऊ मे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारतीय जनका पार्टी पर निशाना साधा है , इस दौरान उन्होनें बयान दिया कि भारतीय जनता पार्टी हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई को तोड़ने का काम करती है। सभी धर्मों का सम्मान करना सभी की आस्था का सम्मान करते हुए भाई चारा स्थापित करना चाहिए भारतीय संविधान भी यही कहता है।
इसी कड़ी मे स्वामी ने आगे कहा भारत में जिस तरह से धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी उसको यह परंपरा उनके लिए महंगी पड़ेगी अगर यह हर मस्जिद में मंदिर खोजेंगे तो लोग मंदिर में बौद्ध मंदिर भी खोजना शुरू करेंगे क्योंकि ऐतिहासिक साक्ष्य इसके पुख्ता प्रमाण हैं।
भारत में जिस तरह से धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी उसको यह परंपरा उनके लिए महंगी पड़ेगी अगर यह हर मस्जिद में मंदिर खोजेंगे तो लोग मंदिर में बौद्ध मंदिर भी खोजना शुरू करेंगे क्योंकि ऐतिहासिक साक्ष्य इसके पुख्ता प्रमाण हैं क्योंकि जितने भी मंदिर बनाए गए हैं सब पहले बौद्ध मंदिर थे उसी क्रम में हमने बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम की बात की थी। मैंने कहा था कि सातवी सदी के अंदर बद्रीनाथ बौद्ध मठ था उसके बाद आदि शंकराचार्य ने उसको परिवर्तित करा कर बद्रीनाथ हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी के बयान पर तीखी टिप्पणी करते हुए स्वामी मौर्य ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री जी से यही कहना चाहूंगा कि आपको सभी की आस्था का सम्मान करना चाहिए। राहुल संक्रतायन ने अपनी किताब हिमालय परिचय में लिखा है “इस बात का समर्थन वर्तमान रावल और भूतपूर्व रामन श्रीवासुदेवजी ने भी किया। इस प्रकार इसमें संदेह नहीं रह गया, कि मूर्ति बुद्धकी है। बदरीनाथकी मूर्ति धनं रहनेपर बहुत सुंदर रही होगी, इसमें संदेह नहीं, उसके छली, कमर आदि सारे अंग बिल्कुल ठीक अनुपात में है। वर्तमान रावत चीवरके छोरको यज्ञोपवीत मानते हैं।
३० व नजदीक देखनेवाले भूतपूर्व गवन हमे बुद्धकी मूर्ति मानते हैं। उन्होंने भारताव आदिम की ऐसी मुनियों देखी है। सिरके पिछने मुक्षित भागमें बुद्ध की तरह ही वाल है, यह भी वह बतला रहे थे। इस प्रकार मनि अहि होम संदेह नहीं। बदरीनाथकी दोनों बगलों और भी कितनी ही मूर्तियाँ है. जिनमें नारदकी धातु मूर्ति भी बुद्धकी मूर्तिमी मालूम होती है”।