हल्द्वानी : Nainital Accident: बुधवार शाम पतलोट के पास हुए सड़क हादसे में सात लोगों की जान चली गई, जबकि सात लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए। सड़क सुरक्षा के दावों की हकीकत बताने के लिए यहां उखड़ा हुआ एक काला ड्रम ही काफी है।क्रश बैरियर के बजाय वाहनों को खाई में गिरने से रोकने के लिए दो ड्रम रखे हुए थे। एक को वाहन अपने साथ खाई में ले गया, जबकि दूसरा नीचे गिरा हुआ था। वहीं, सड़क के दूसरी तरफ यानी पहाड़ी की ओर जगह-जगह मलबा गिरा हुआ था। इस वजह से भी वाहन चालकों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
गाड़ी अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई थीबुधवार दोपहर हल्द्वानी से सवारी भरा बोलेरो वाहन ओखलकांडा ब्लाक के पतलोट के लिए रवाना हुआ था, मगर पतलोट से थोड़ा पहले 14 यात्रियों से भरी ये गाड़ी अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई थी। हादसे में सात लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद विधायक राम सिंह कैड़ा व स्थानीय लोगों ने खाई में उतरकर सात घायलों को बाहर निकालकर अस्पताल भिजवाया।वहीं, गुरुवार को आरटीओ प्रवर्तन नंद किशोर, आरआइ अजय गुप्ता परिवहन विभाग की टीम संग मौके पर पहुंचे थे। हादसे को लेकर प्राथमिक तौर पर कुछ वजहें सामने आई हैं, जिसके कारण ही चालक वाहन से नियंत्रण खो बैठा था। आशंका है कि सामने से आ रही गाड़ी को पास देने के लिए चालक ने गाड़ी सड़क की दूसरी तरफ को ज्यादा घुमा दी। क्योंकि, एक तरफ मलबा था। इस स्थिति में वाहन को ज्यादा किनारे ले जाने से भी हादसा हो सकता है, मगर सबसे अहम यह है कि जिस जगह से वाहन तेजी से खाई की ओर गिरा है। वहां कोई क्रश बैरियर नहीं था। महज दो ड्रमों में मिट्टी भरकर किनारे रखा गया था। इसमें से एक तो टक्कर लगने के बाद उखड़ गया, जबकि दूसरी ड्रम खाई में जा गिरी। इससे पता चलता है कि जिम्मेदार सड़क सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं।गोल्डन आवर-स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में तो पता ही नहींकिसी हादसे के घायलों के लिए पहला घंटा सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस अवधि को चिकित्सा विशेषज्ञ गोल्डन आवर कहते हैं। इस पहले घंटे में मिली सहायता प्राण बचा सकती है, मगर पर्वतीय क्षेत्र में अब भी कई जगहों पर नेटवर्क की सुविधा नहीं है।
ऐसे में गोल्डन आवर के खत्म होने से पहले घायल के पास कैसे पहुंचा जाए, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। दूसरी बड़ी समस्या पर्वतीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की है। बुधवार को हुए हादसे के बाद घायलों को 80 किमी दूर हल्द्वानी ही इलाज के लिए लाना पड़ा