नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कन्याकुमारी में 45 घंटे की ध्यान साधना शुरू किए जाने पर विपक्ष के नेताओं ने तंज कसा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, राजद नेता तेजस्वी यादव और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे प्रचार पाने का तरीका करार दिया है।
अखिलेश यादव ने कहा कि छह चरणों में हुए चुनाव को देखकर भाजपा पूरी तरह लड़खड़ा गई है। उसको आईएनडीआईए का मतलब समझ में नहीं आ रहा है। वह इतनी घबराई हुई है कि आईएनडीआईए को इंडी गठबंधन बोल रही है।
उन्होंने कहा कि सातवें चरण में काशी की सीट भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हारने वाले हैं। यही वजह है कि अब पीएम तपस्या और ध्यान करने चले गए हैं। कितनी भी तपस्या कर लें, जनता उन्हें छोड़ेगी नहीं। बाद में बताएंगे कि तपस्या में कुछ कमी रह गई। अखिलेश ने कहा कि 10 वर्षों में उन्होंने सिर्फ झूठ बोला है। वह ऊपर से नीचे गिरते जा रहे हैं, उनकी जुबान भी लड़खड़ा गई है। कैमरे वगैरह पर रोक लगाएं: तेजस्वीबिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ध्यान लगाने नहीं, बल्कि फोटो खिंचवाने और फिल्म बनवाने जा रहे हैं। पिछली बार गुफा में बैठकर फोटो खिंचवा रहे थे। मोदीजी से आग्रह है कि ध्यान लगाने जा रहे हैं तो ध्यान में बाधा उत्पन्न करने वाली चीजें साथ में न लेकर जाएं। ध्यान बंटाने वाली चीजों से परहेज करें और कैमरे वगैरह पर रोक लगाएं।
ममता ने बताया राजनीतिक स्वार्थबंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पीएम मोदी के कन्याकुमारी में ध्यान लगाने को लेकर सवाल किया। कहा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी बहुत मूल्यवान है और इसकी संवैधानिक जिम्मेदारियां हैं, लेकिन उन्हें (मोदी व भाजपा को) इसकी परवाह नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि हर चुनाव में अंतिम चरण के मतदान से 48 घंटे पहले मोदी प्रचार पाने के लिए कहीं ध्यान पर बैठ जाते हैं। पीएम ने 2019 के चुनाव अभियान के बाद केदारनाथ की गुफा में इसी तरह का ध्यान किया था।