जानें क्या है उत्तराखंड की बहुपति विवाह प्रथा

Spread the love

देहरादून. किसी जमाने में उत्तराखण्ड के पश्चिमी टिहरी और जौनसार बावर क्षेत्र में बहुपति प्रथा चलन में थी। जिसमें सबसे बड़े भाई का विवाह होने पर उसकी पत्नी पर उसके बाकी भाइयों का समान अधिकार हुआ करता था। हालांकि इस विवाह से पैदा होने वाली संतान बड़े भाई के ही कहलाते थे।

उम्र के हिसाब से करते थे शादी

अगर एक ही परिवार में भाइयों की उम्र में बहुत ज्यादा अंतर होता तो बड़े भाई पहले एक दुल्हन से ब्याह रचाते और छोटे भाइयों की विवाह योग्य उम्र होने पर वे दूसरी शादी कर लेते थे। इस तरह ये दोनों ही पत्नियाँ सभी भाइयों की पत्नियां कहलाती थीं।

इस बहुपति प्रथा में एक बात ये निकलकर सामने आती कि आबादी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अनुपात बहुत ज्यादा कम हुआ करता था। ब्रिटिश भारत में इन इलाकों में कहीं-कहीं बच्चों व वयस्कों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या एक चौथाई तक भी हुआ करती थी। लेकिन महिलाओं की कम आबादी की वजह भ्रूण हत्या नहीं थी बल्कि गढ़वाल की पहाड़ियों में जहां बहुपति प्रथा चलन में थी वहां महिला शिशुओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा हुआ करती थी। 1911 की जनगणना में देश के उन इलाकों का उल्लेख है जहां बहुपति प्रथा चलन में थी।

किन्नौर में सबसे ज़्यादा प्रभाव

इस प्रथा का प्रभाव सबसे ज्यादा हिमाचल की किन्नौर में देखा जाता है, यहां इसे घोटुल प्रथा कहा जाता है। इस रिवाज को लेकर महाभारत से भी जुड़ी मान्यताएं भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने हिमाचल और उत्तराखण्ड की इन पहाड़ियों में अपना खासा समय बिताया था। ये भी कहा जाता है कि तभी से इन क्षेत्रों में यह परम्परा चलन में है।  

उत्तराखण्ड के अलावा हिमाचल के किन्नौर, दक्षिणी कश्मीर के पहाड़ी इलाकों, त्रावणकोर के नायकों, मालाबार हिल्स की इजहेर जाति, अरुणाचल की गालोंग जनजाति समेत केरल की भी कई जनजातियों, नेपाल और तिब्बत में भी बहुपति व्यवस्था चलन में थी। भले ही आज यह प्रथा लुप्त हो चुकी हो लेकिन इसके अवशेषों की मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता है।

पीएम मोदी ने देवभूमि को 18 हजार करोड़ की योजनाओं की दी सौगात

जानें, अखाड़ा परिषद ने उत्तराखंड सरकार को 30 नवंबर की क्यों दिलाई याद


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *