Uttarakhand Assembly Election : आपसी कलह से कैसे निपटेगी कांग्रेस की नई टीम?

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देहरादून. कांग्रेस की नई टीम का ऐलान दिल्ली से हुआ लेकिन नाराज़गी के सुर उत्तराखंड से उठने लगे। जिस समय नए अध्यक्ष गणेश गोदियाल दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात करके उन्हें इस ज़िम्मेदारी के लिए धन्यवाद दे रहे थे उसी वक्त धारचूला के विधायक हरीश धामी अपने अंदर फूट रहे असंतोष को निकालने का रास्ता तलाश रहे थे

धारचूला के विधायक हरीश धामी

नई टीम से असंतुष्ट हरीश धामी पार्टी छोड़ने की धमकी दे चुके थे, पार्टी में खलबली मची तो बड़े नेता सक्रिय हुए और धामी को मना लिया, लेकिन उनकी नाराज़गी वाकई दूर हुई या नहीं इसे कांग्रेस का कोई नेता पुख्ता तौर पर कहने को तैयार नहीं है। वहीं पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय इस बात से नाराज़ हो गए कि पार्टी ने उनका कद छोटा कर दिया। किशोर उपाध्याय को चुनाव के लिए कोई बड़ी ज़िम्मेदारी नहीं दी गई है। एक समय प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे जाने वाले पूर्व मंत्री नव प्रभात की नाराज़गी की अपनी वजह है। नवप्रभात ने कहा कि ‘मैं तीन बार चुनाव घोषणापत्र समिति का प्रभारी रह चुका हूं और अब अगर नई टीम को अंतिम रूप दिया गया है, तो घोषणापत्र की जिम्मेदारी उसी की होनी चाहिए।

राहुल गांधी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल

हरीश रावत सरकार में पूर्व परिवहन मंत्री रहे नव प्रभात पार्टी के एक प्रमुख ब्राह्मण नेता हैं, और पार्टी उनको नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकती। नवप्रभात ने कहा कि “मेरे द्वारा तैयार किए गए घोषणा पत्र में अंतिम समय में बदलाव किए गए थे, इसलिए, नई टीम और उनके सदस्यों को घोषणापत्र में मदद करनी चाहिए और मैंने पार्टी के वरिष्ठों को अपने निर्णय के बारे में सूचित किया है।”

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत

नई टीम की जो लिस्ट निकली है वो किशोर उपाध्याय के लिए किसी झटके से कम नहीं है। किशोर को 2017 में देहरादून के सहसपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए टिहरी जिले की अपनी पारंपरिक विधानसभा सीट छोड़नी पड़ी थी, लेकिन इस बार उन्हें कोई प्रभार नहीं दिया गया।
दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश नेतृत्व में बदलाव के कुछ घंटे पहले ही प्रीतम सिंह ने पार्टी में अलग-अलग पदों पर सदस्यों की नियुक्ति कर दी। सिंह ने उन्हें हटाने से कुछ घंटे पहले राज्य इकाई में महासचिव और सचिव बनाने के लिए नियुक्ति पत्र जारी किए। कुल मिलाकर कांग्रेस के आम कार्यकर्ता इसी उम्मीद में हैं कि हरीश रावत का चेहरा सबकुछ ठीक कर देगा, लेकिन तब तक गंगा से ज्यादा पानी न बह जाए।

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