ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंशी वायरस (एचआईवी) को जागरूकता व शिक्षा के साथ जोड़ा जाता है। हालांकि, केजीएमयू में विभिन्न विभागों के साझा शोध का परिणाम इसके ठीक विपरीत है। अध्ययन के अनुसार, एचआईवी संक्रमितों में सबसे ज्यादा संख्या उच्च वर्ग तथा शिक्षितों की है। एचआईवी संक्रमित 13.96 प्रतिशत मरीजों में टीबी की बीमारी भी मिली।
केजीएमयू का यह अध्ययन मई 2021 से जून 2022 के बीच एचआईवी के 573 मरीजों पर किया गया। इनमें 80 मरीज ऐसे मिले, जिन्हें टीबी भी था। इन मरीजों में 23.75 फीसदी ही अशिक्षित थे। बाकी सभी शिक्षित थे।
शिक्षित वर्ग में सबसे ज्यादा 76.25 फीसदी प्राथमिक, 34.42 फीसदी सेकेंड्री और 34.42 फीसदी स्नातक या इससे ज्यादा शिक्षित थे। इसी तरह सामाजिक-आर्थिक के वर्गीकरण के अनुसार 41.25 प्रतिशत मरीज उच्च वर्ग के थे। 37.50 फीसदी मरीज उच्च मध्य, 7.50 फीसदी मध्य, 12.50 फीसदी निम्न मध्य और 1.25 फीसदी मरीज निम्न वर्ग के थे। अध्ययन में डॉ. आकांक्षा सोनी, डॉ. पारुल जैन, डॉ. विमला वेंकटेश, डॉ. डी हिमांशु, डॉ. नीतू गुप्ता और डॉ. रितु टंडन शामिल रहे।
80 फीसदी की उम्र 20 से 50 साल के बीच
अध्ययन में देखा गया कि मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या 20 से 50 साल आयुवर्ग वालों की थी। यह आंकड़ा 80 फीसदी रहा। 10 से 20 साल की उम्र वाले संक्रमितों का प्रतिशत पांच और 50 साल से ऊपर वालों का 15 प्रतिशत रहा। इनमें से 20 फीसदी महिलाएं और 80 प्रतिशत पुरुष थे। संक्रमितों में दो तिहाई शादीशुदा थे।
एचआईवी के साथ टीबी वाले मरीजों में तेजी से बढ़े लाल कण
खून में मौजूद लाल कण शरीर को संक्रमण से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। एचआईवी में मरीज की इम्युनिटी कमजोर होने से काफी रोग तेजी से होते हैं। टीबी का संक्रमण भी इसी का परिणाम होता है। अध्ययन में एचआईवी संक्रमित 13.96 फीसदी मरीजों में टीबी की बीमारी भी मिली। हालांकि, दोनों प्रकार के मरीजों को जब एंटी वायरल थेरेपी दी गई तो देखा गया कि सिर्फ एचआईवी वाले मरीजों के मुकाबले एचआईवी- टीबी वाले मरीजों में इलाज के बाद खून के लाल कण बढ़ने का प्रतिशत 46.6 फीसदी से ज्यादा तो सिर्फ एचआईवी वाले मरीजों में 35.75 फीसदी ही रहा है।