लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव में सात सीटों पर जीत सुनिश्चित होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने आठ प्रत्याशियों को उतार दिया।भाजपा के इस कदम के बाद से ही समाजवादी पार्टी और दूसरी विपक्षी पार्टियों में सेंध के कयास लगाया जाने लगा था।सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने भी यह मान लिया है कि पार्टी के तीसरे प्रत्याशी की जीत मुश्किल है।सुबह तक अपने तीनों प्रत्याशियों की जीत के दावे करने वाली सपा अब अगर यह मान रही है कि उसके तीसरे प्रत्याशी की जीत मुश्किल है
तो उसके पीछे कारण है विधायकों की क्रॉस वोटिंग।सपा के सात विधायकों ने भाजपा के आठवें प्रत्याशी संजय सेठ के समर्थन में मतदान किया है।सूत्रों के मुताबिक सपा के मुख्य सचेतक रहे मनोज पांडेय और राकेश पांडेय के साथ ही राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य ने भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया है।प्रयागराज जिले की हंडिया विधानसभा सीट से सपा के विधायक हाकिमचंद्र बिंद की भी भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट करने की खबर थी।हालांकि हंडिया विधायक ने क्रॉ वोटिंग की खबरों का खंडन करते हुए दावा किया कि हमने सपा प्रत्याशी को वोट दिया है।राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के ऐलान के बाद से ही पीडीए को लेकर अखिलेश यादव पर हमलावर रहीं। पल्लवी पटेल देर से वोट देने पहुंचीं। पल्लवी ने भी सपा प्रत्याशी को वोट देने का दावा किया है,
जबकि सपा की एक विधायक महाराजी देवी ने वोटिंग से किनारा कर लिया।*क्रॉस वोटिंग के बाद कैसे बदला नंबरगेम*भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास कुल मिलाकर आठ प्रत्याशियों की जीत के लिए जरूरी प्रथम वरीयता के 296 वोट के मुकाबले 286 विधायकों का समर्थन था।इनमें से ओमप्रकाश राजभर की पार्टी का एक विधायक अब्बास अंसारी जेल में हैं।ऐसे में एनडीए का संख्याबल 285 रह गया। राजा भइया और विनोद सरोज ने भाजपा को वोट दिया, जिससे पार्टी के प्रथम वरीयता का वोट 287 पर पहुंच गया। अब सपा के सात विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने से भाजपा के प्रथम वरीयता वाला वोट 294 पहुंच गया है। भाजपा नेताओं का दावा है कि सपा के कम से कम 10 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है और पार्टी के आठवें प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित है।अब यह समझने वाली बात है कि पूरा समीकरण कहां से कैसे सेट हुआ।भाजपा ऐसी पार्टी नहीं है जो बिना किसी तैयारी या वोटों के गुणा-गणित का आकलन कर प्रत्याशी उतार दे। ऐसे में शुरू से ही माना जा रहा था कि दूसरे दलों के विधायकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली होगी तभी भाजपा ने नामांकन के अंतिम दिन आठवां प्रत्याशी उतारने का फैसला लिया होगा।
अब वोटिंग के दिन तस्वीर करीब-करीब साफ भी हो चुकी है। भाजपा के नेता कम से कम 10 विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने के दावे कर रहे हैं।हालांकि सूत्रों से अब तक सात विधायकों का नाम ही सामने आया है।*योगी की डिनर सियासत से हो गया खेल*राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग से ठीक एक दिन पहले भाजपा और सपा, दोनों ने ही अपने-अपने विधायकों को डिनर पर बुलाया था। भाजपा की ओर से कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाली थी तो वहीं सपा की ओर से मोर्चे पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव थे।सीएम योगी की डिनर सियासत में वोटिंग को लेकर पार्टी की रणनीति पर व्यापक मंथन हुआ और फिर मतदान से ठीक पहले इसके परिणाम भी नजर आने लगे।वहीं अखिलेश के डिनर से आठ विधायकों ने किनारा कर लिया।यह साफ संदेश था कि सपा फूट की ओर बढ़ रही है।अखिलेश यादव के सबसे करीबी नेताओं में से एक रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडेय ने सपा के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया।इसके कुछ ही देर बाद योगी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह ने मनोज पांडेय से उनके आवास पर पहुंचकर मुलाकात की।दयाशंकर से मुलाकात के बाद मनोज पांडेय वोट देने रवाना हुए।