संत गुरु रविदास का जन्म वाराणसी के नजदीक के गांव में हुआ था. उन्हें रैदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है. उनकी माता का नाम श्रीमति कलसा देवी और पिता का नाम श्रीसंतोख दास था.
ग्रेटर नोएडा :गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के संत रविदास छात्रावास में संत रविदास जी की 747 वीं जयंती का आयोजन किया गया । इस आयोजन की अध्यक्षता डा0 सुभोजित बनर्जी (मुख्य छात्रावास अभिरक्षक) और मुख्य स्थिति डा0 मनमोहन सिंह सिसोदिया (छात्र अधिष्ठाता) थे। डा0 बनर्जी ने अपने अध्यक्षय भाषण में कहां कि सुफी संत हमारे आदर्श होते हैं और उनको याद करना और उनके कर कमलों पर चलने से मानवीय जीवन सुन्दर होता है।
डा0 रेनू यादव ने संत रविदास के दोहों का वर्णन करते हुए उनके चिन्तन और उनके दर्शन को दर्शाया
मुख्य अतिथि डा0 मनमोहन सिंह ने कहा कि संत रविदास के जीवन और उनके दर्शन को नयी पीढ़ी को जानना इसलिए जरुरी है कि हम एक भय मुक्त और समानता पर आधारित समाज का निर्माण कर सकें। ताकि आने वाली पीढ़ी को बेहतर राष्ट्र दे सकें, इस अवसर पर डा0 रेनू यादव ने संत रविदास के दोहों का वर्णन करते हुए उनके चिन्तन और उनके दर्शन को दर्शाया।
इसके साथ उनके जीवन के संघर्षो को सरल और सहज भाषा में बयान किया। डा0 प्रकाश दिलारे ने भारतीय संत रविदास के दर्शन की महत्वता को बताते हुऐ कहां कि संत रविदास कि सोच सिर्फ विचारको तक सीमित नहीं बल्कि विश्व की सबसे बड़ी पंचायत संयुक्त राष्ट्र ने उसे अपनाया है। डा0 विदुशी शर्मा,(मुख्य छात्रावास अभिरक्षक) ने कहा कि संत रविदास एक महान् समाज सुधारक और लोगों को बिना भेदभाव के आपस में मिल जुलकर रहने की शिक्षा दी, डा0 आरती गौतम ने कहा कि संत रविदास ने अपना जीवन समाज सुधार कार्य के लिये समर्पित कर दिया। समाज से जाति विभेद को दूर करने में रविदास जी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इस अवसर पर संत रविदास के जीवनी और चिंतन पर वाद विवाद प्रतियोगिता की गई
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर पुष्पांजलि अर्पित से की गई। संचालन संत रविदास छात्रावास अभिरक्षक, डा0 मो0 आसिफ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन छात्रावास अभिरक्षक डा0 नवीन कुमार ने किया इस अवसर पर डा0 विमलेश कुमार, डा0 आर0 बी0 सिंह और समस्त छात्र उपस्थित थे।
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