सड़क पर पत्थर, खून और बदहवासी ,चिल्लाने और बचाने की आवाजें, बवाल की भयावह तस्वीर आई सामने

Spread the love

हल्द्वानी। हल्दु के बहुतायात पेड़ों के नाम से बसे हल्द्वानी शहर की फिजा बिल्कुल शांत रही है। यहां की वादियां सुकून और खुशी देती है। बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को यह शहर गले लगा लेता है। बृहस्पतिवार को अचानक ऐसा क्या हुआ, जिससे इस शहर की शांति ही भंग हो गई। किसने शांत फिजा का सुकून और खुशी छीन ली।

यह सवाल सरकारी सिस्टम से भी है और बनभूलपुरा के स्थानीय उपद्रवियों से भी। जिस कारण शहर ने सड़क पर आज पत्थर, खून और बदहवासी देखी। अस्सी के दशक के बाद शायद ऐसा पहली बार हुआ जब सड़कों पर भयावह मंजर नजर आया। जहां कई घंटे तक हर तरफ पत्थरों की बारिश का तांडव चला रहा। आग की लपटों और गोलियों की आवाज से पूरे शहर की जनता दहशत में थी।

तांडव की तस्वीर यह रही की पत्थरबाजी और गोली लगने से छह लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हैं। पुलिस से लेकर पत्रकार और आमजन तक जख्मी है। शहर के लिए इस हिंसा ने एक ऐसा जख्म और दाग दिया है जिसे भरने में कई साल लग जाएंगे। यह सब के लिए जानना जरूरी है कि यह घटना सांप्रदायिक तनाव का बिल्कुल ही नहीं था। विशुद्ध तौर पर कानून व्यवस्था का मामला है जिसका आकलन करने में पुलिस और प्रशासन पूरी तरह फैल रहा।

Haldwani Violence: Horrific scene on the streets everyone from police to journalists and common people injured

हल्द्वानी में बवाल

बनभूलपुरा में अवैध धार्मिक स्थल तोड़ने का मसला सीधे तौर पर प्रशासन से जुड़ा हुआ था। इसे तोड़ने पर स्थानीय स्तर पर किस तरह का रिएक्शन हो सकता है। इसका आकलन प्रशासनिक अधिकारियों ने ठीक तरीके से नहीं किया। जिसका नतीजा यह रहा कि शहर ने सड़कों पर तांडव दिखा। हर तरफ खौफ का माहौल देखा।

Haldwani Violence: Horrific scene on the streets everyone from police to journalists and common people injured

हल्द्वानी में बवाल

चिल्लाने और बचाने की आवाज में सुनी गईं। पुलिस की खुफिया एजेंसी सटीक जानकारी देने में या तो फैल रही या जानकारी थी तो बिना तैयारी के कार्रवाई के लिए टीम को मौके पर भेज दिया गया। इसको लेकर भी पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

Haldwani Violence: Horrific scene on the streets everyone from police to journalists and common people injured

हल्द्वानी में बवाल

जिले की ब्यूरोक्रेसी की अनुभवहीनता साफ तौर पर नजर आई। देहरादून को समय पर सूचना तक नहीं दी गई कि हल्द्वानी में हालात बेकाबू हो गए हैं। हमें क्या करना चाहिये । 



मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जैसे ही किसी अन्य स्रोत से जानकारी मिली तो उन्होंने बीच में ही अपनी मीटिंग छोड़कर मुख्य सचिव और डीजीपी की आपातकाल बैठक बुलाकर पूरे मामले पर पैनी नजर बना दी।


हल्द्वानी में बवाल
इसके साथ ही राहत एवं बचाव के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए। ताज्जुब है कि कैमरे को अलग-अलग एंगल देने वाले अफसर के फोन भी ऐसे मौके पर बंद नजर आए।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *