शनिवार को ऊर्जा भवन में अपर मुख्य सचिव एवं निगम की अध्यक्ष राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में बोर्ड बैठक हुई। जिसमें बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा गया। बैठक में यूपीसीएल ने बिजली की दरें बढ़ाने के पीछे करोड़ों की देनदारी और सेंट्रल पूल, एसजेवीएनएल, यूजेवीएनएल, टीएचडीसी, एनटीपीसी से महंगी बिजली मिलने का तर्क दिया।
ऊर्जा राज्य में अगले साल से बिजली महंगी हो जाएगी। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की बोर्ड बैठक में बिजली की दरों में 23 से 27 प्रतिशत बढ़ोतरी की प्रस्ताव को सहमति दे दी गई है। इसके बाद यूपीसीएल दरें बढ़ाने को लेकर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर करेगा। बिजली की नई दरें एक अप्रैल 2024 से लागू होंगी।
यूपीसीएल को राज्य की मांग पूरी करने के लिए बिजली खरीदने के लिए 1281 करोड़ ज्यादा देने पड़ रहे हैं। इसकी भरपाई के लिए अगले साल से 23 से 27 प्रतिशत बिजली दरों में बढ़ोतरी की सिफारिश की गई। बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बोर्ड सदस्यों के चर्चा के बाद यूपीसीएल विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर करेगा। आयोग जनसुनवाई के बाद विद्युत टैरिफ पर निर्णय लेगा। बैठक में यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार समेत कई निदेशक मौजूद थे।
कई राज्यों ने दिया टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव
महंगी बिजली मिलने से कई राज्यों ने भी टैरिफ दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। पड़ोसी राज्य हिमाचल ने 50 प्रतिशत, झारखंड ने 44 प्रतिशत, दिल्ली ने 30 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव अपने राज्य के विद्युत नियामक आयोग को भेजा है।
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27 लाख उपभोक्ताओं को लगेगा झटक
बिजली महंगी होने से प्रदेश के 27 लाख उपभोक्ताओं को झटका लगेगा। 23 से 27 प्रतिशत तक टैरिफ दरों में बढ़ोतरी से घरेलू व व्यावसायिक कनेक्शनों की बिजली महंगी होगी। हालांकि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग जनसुनवाई के बाद ही टैरिफ की दरें निर्धारित करेगा