देश के सबसे प्रतिष्ठित लड़कों के बोर्डिंग द दून स्कूल में बालिकाओं के भी एडमिशन हो सकते हैं। वन अनुसंधान संस्थान में आयोजित वैश्विक निवेशक सम्मेलन में पहुंचे
उन्होंने कहा, स्कूल की ओर से को-एजुकेशन पर विचार किया जा रहा है। अगले एक से दो साल के भीतर इस व्यवस्था को लागू किया जा सकता है। देहरादून के द दून स्कूल में प्रवेश कई बच्चों के लिए सपना रहा है। 1935 में स्थापित इस स्कूल की कल्पना एक ऐसे स्कूल के रूप में की गई थी जो भारतीय समाज के सभी वर्गों और देश के हर राज्य से लड़कों को आकर्षित करेंगा।
लेकिन, स्कूल स्थापना के 90 साल बाद खासकर बालिकाओं के लिए अच्छी खबर है कि उनके लिए भी प्रवेश का रास्ता खुल सकता है। चेयरमैन ने यह भी कहा, दून स्कूल एक खास वर्ग के लोगों का नहीं, बल्कि आम लोगों का स्कूल बनेगा। कहा, स्कूल नहीं चाहता कि स्कूल में केवल बड़े वर्ग के लोगों के बच्चे पढ़ें। आम लोगों के बच्चे भी स्कूल में पढ़ सकें, इसके लिए स्कूल ने अपने सिस्टम को बदला किया है।
उत्तराखंड में शानदार रहा स्कूल का अनुभव
द दून स्कूल के चेयरमैन अनूप सिंह बिश्नोई ने वैश्विक निवेशक सम्मेलन में यह पूछे जाने पर कि उत्तराखंड में देश का नंबर एक स्कूल चला रहे हैं, राज्य को लेकर अपना अनुभव बताएं। कहा, उत्तराखंड में तब यूपी में 1995 में आए, 90 साल हो चुके हैं। स्कूल के संचालन में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई। जिस तरह का सहयोग चाहा, सभी से उस तरह का सहयोग मिला। स्कूल सेवा के लिए हैं, स्कूल में उन बच्चों को लाया जाएगा जो देश सेवा करेंगे। स्कूल से निकले बच्चों ने पूरी दुनिया में पहचान बनाई है। स्कूल के कई बच्चों को छात्रवृत्ति दी जा रही है।
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द दून स्कूल से निकली हैं ये हस्तियां
पूर्व छात्रों में देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, संजय गाधी, पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, कलाकार अनीश कपूर, लेखक विक्रम सेठ, फैशन डिजाइनर तरुण ताहिलियानी, वरिष्ठ पत्रकार करन थापर, एनडीटीवी के संस्थापक प्रणव राय, प्रियंका गांधी के पुत्र रेहान वाड्रा के अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्री मंत्री धर्मेंद्र प्रधाान के पुत्र भी इसी स्कूल से पढ़े हैं।
इतनी है स्कूल की फीस
स्कूल की फीस 11 लाख रुपये से अधिक है। इसमें एडमिशन फीस पांच लाख रुपये, सिक्योरिटी डिपॉजिट साढ़े पांच लाख रुपये और आकस्मिक व्यय 25 हजार रुपये है।