क्या शादी के बाद भी पति-पत्नी को निजी जीवन का अधिकार है। इस सवाल का जवाब हाईकोर्ट ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने कहा कि आप शादीशुदा हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप एक दूसरे के निजता के अधिकार पर असर डाल सकते हैं। शादी के आधार पर निजता के अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकते हैं। यदि आप को अपने पार्टनर के आधार की जानकारी लेनी है तो इसके लिए प्रक्रिया है। उसका पालन किया जाना चाहिए।
यह था पूरा मामला
हुबली की एक महिला जो अपने पति से अलग हो चुकी है। वह अपने पति का आधार नंबर, फोन नंबर और एनरोलमेंट नंबर प्राप्त करना चाहती थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि महिला के पास उसके पति का पता नहीं होने के कारण फैमिली कोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों को लागू नहीं करा पा रही है। इसके लिए याचिकाकर्ता ने पति के एड्रेस के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) लेकिन उनकी अर्जी खारिज कर दी गई थी। UIDAI ने कहा कि इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश समेत अन्य दस्तावेजों की जरूरत होती है। मामला सिंगल बेंच के पास भेजा गया। कोर्ट ने UIDAI से महिला के पति को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने क्या कहा
डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि पति से संबंधित किसी भी तरह के खुलासे से पहले दूसरे पक्ष को भी अपनी बात रखने का अधिकार होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा विवाह दो लोगों के बीच का रिश्ता है, जो किसी की निजता पर असर नहीं डालता।
पति-पत्नी को प्राइवेसी का हक, नहीं दे सकते दखल
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसला में कहा था कि, ससुराल में आने के बाद किसी शादीशुदा महिला द्वार प्राइवेसी की मांग करना पति के प्रति क्रूरता नहीं है। इसको तलाक का आधार नहीं माना जा सकता है।