आज से सूर्योपासना का महापर्व कार्तिक छठ नहाय खाय से शुरू हो गया है। छठ में व्रत रहने वाले पहले दिन गंगा में स्नान करेंगे। शनिवार को लोहंडा खरना पर दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को सूर्य की उपासना कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। रविवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद 20 नवंबर सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आरोग्य, यश और संपदा का आशिर्वाद लेंगे। इसके साथ ही पर्व का समापन होगा। खरना शनिवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा। व्रत धनिष्ठा नक्षत्र में सोमवार को समाप्त होगा।
छठ पूजा में सूर्योपासना से छठी माता प्रसन्न होती हैं। परिवार में सुख-शांति, धन-धान्य व शांति सहित सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव की शुभ मुहूर्त में पूजा करने से अभीष्ट फल का प्राप्ति होती है। इनकी उपासना से शत्रु का नाश, रोग, कष्ट का नाश और सर्वार्थ सिद्धि की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष आचार्य की माने तो पंचांग के अनुसार धृत योग, जायद योग व रवि योग में नहाय खाय का योग है। इस दिन गंगा में स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवला की चटनी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। इसके साथ ही अनुष्ठान की शुरुआत करेंगे। इस दिन गेंहूं को गंगाजल से धूलकर सूखाने की प्रथा है। गेहूं को कोई पक्षी, कीड़े-मकोड़े न छूएं इसके लिए व्रती अपने स्वजनों के साथ पारंपरिक गीत गाते हुए रखवाली करेंगे।
छठ पर्व प्रमुख तिथियां
नहाय-खाय- शुक्रवार 17 नवंबर
खरना- शनिवार 18 नवंबर
संध्या अर्घ्य- रविवार 19 नवंबर
प्रातः अर्घ्य- सोमवार 20 नवंबर