शिक्षा और साहित्य जगत में मिसाल बन गईं हैं डॉक्टर दीपा गुप्ता
नवरात्र में डी मैगज़ीन इंडिया की इस बेहद खास सीरीज़ में हमारी नौ देवियों में से एक देवी हैं डॉक्टर दीपा गुप्ता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एंबेसडर दीपा गुप्ता हिंदी की प्रवक्ता के तौर पर कार्यरत हैं। एक साहित्यकार होने के साथ साथ दीपा गुप्ता सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ी हैं। अल्मोड़ा लिटरेचर फेस्टिवल की कार्यकारी निदेशक के तौर पर दीपा गुप्ता और उनकी टीम ने पहली ही कोशिश में इस फेस्टिवल को दुनिया के नक्शे पर स्थापित कर दिया है।
डॉ. दीपा गुप्ता ने अध्यापन की शुरुआत एमजीएम पीजी कॉलेज संभल (यूपी) की, लेकिन जीवन की यात्रा उन्हें अल्मोड़ा ले आई। उनका बचपन भवाली में ही बीता। पिता रोडवेज़ में वरिष्ठ अधिकारी रहे, साथ ही कवि भी थे। माता गृहणी हैं, भाई आईआईटी रुड़की से डिग्री प्राप्त हैं। छोटी बहन भी शिक्षा के क्षेत्र में हैं और वर्तमान में नजीमाबाद में कार्यरत हैं।
बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि दीपा ने अपने सभी परीक्षाएं पहली श्रेणी में पास कीं। प्रतिभा की धनी दीपा ने युनिवर्सिटी की योग्यता सूची में भी स्थान बना लिया। साल 2015 में दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित आगा खां फाउंडेशन की शोध टीम का हिस्सा बनीं। इसी दौरान इनकी अब्दुर्रहीम खानखाना पर 2 पुस्तकें प्रकाशित हुईं। पहली पुस्तक ‘खानेखाना रहीम’ और दूसरी ‘A Rare Creation of Rahim’ हिंदुस्तानी भाषा अकादमी नई दिल्ली से प्रकाशित हुईं। डॉ. दीपा गुप्ता ने आगा खां फाउंडेशन के सहयोग से रहीम के समग्र साहित्य का अनुवाद (फारसी को छोड़कर) किया है। ये ग्रंथ वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ।
2015 में ही एक और उपलब्धि दीपा गुप्ता के नाम पर जुड़ी। साहित्य के साथ साथ थियेटर में भी झंडे गाड़े। नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कला महोत्सव में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रसिद्ध लोक कथा राजुला मालुशाही का मंचन किया। दिल्ली के बाल भवन में आयोजित इस नाटक को देखने के लिए सैकड़ों लोंगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
डॉ. दीपा की कविताओं ने अब राष्ट्रीय फलक पर अपनी दस्तक देनी शुरू कर दी। पहला कविता संग्रह सप्तपदी के मंत्र’ बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित हुआ। दीपा ने ‘उत्तराखंड की नारी मन की इक्कीस सर्वश्रेष्ठ कहानियां’ का संपादन किया। कहानियों के इस संग्रह को डायमंड पॉकेट बुक्स ने साल 2022 में प्रकाशित किया और फिलहाल इस पर कुमाऊं विश्व विद्यालय में शोध हो रहा है।
दीपा गुप्ता की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि ये भी है कि इन्होंने उत्तराखंड की ज्ञात-अज्ञात महत्वपूर्ण कवियत्रियों की कविताओं का संकलन करने का कठिन कार्य किया। ये संकलन ‘पराणी’ शीर्षक से पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो चुका है।
इसके बाद वो पुस्तक आई जिसने दीपा गुप्ता को पहाड़ का दर्द समटेती बड़ी लेखिकाओं में शुमार कर दिया। ‘अल्मोड़ा की अन्ना’ ने ना केवल पाठकों के बीच प्रसिद्धि हासिल की बल्कि इस पर देश के अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर भी बात हो चुकी है।
ये अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ‘अल्मोड़ा की अन्ना’ को पढ़ते वक्त कई पाठकों ने उन्हें कहा कि वो शिवानी को याद कर रहे हैं।
दीपा गुप्ता साहित्य की सेवा लेकिन बतौर लेखिका ही नहीं कर रही हैं बल्कि इन्होंने नवोदित लेखकों और कलाकारों के लिए भी प्रदर्शन के मंच तैयार किए। जून 2023 में प्रसिद्ध अल्मोड़ा लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस आयोजन से वो बतौर कार्यकारी निदेशक जुड़ीं और पहले ही प्रयास में ये फेस्टिवल दुनिया के नक्शे पर अपनी जगह बना गया। इस महोत्सव में देश-दुनिया के बड़े लेखक और कलाकारों ने तो शिरकत की ही, नए कलाकारों को भी खूब मौका मिला।
दीपा ने अपना फलक और बढ़ा लिया है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध कैंची धाम के बाबा नीब करौली महाराज और मौनी मां पर बनने वाली फिल्म की वो ना केवल स्क्रिप्ट राइटर हैं बल्कि उसकी प्रोडक्शन टीम का हिस्सा भी हैं।
साहित्य अदब ट्रस्ट की अध्यक्ष के तौर पर भी डॉ दीपा गुप्ता पिछले 6 सालों से सक्रिय रूप से समाज और साहित्य की सेवा कर रही हैं। इस ट्रस्ट के माध्यम से दुर्गम स्थानों पर लड़कियों की शिक्षा के लिए विशेष कार्य किए जा रहे हैं।
दीपा गुप्ता की कहानियां देश-विदेश की पत्र पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त करती रहती हैं। अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर दीपा गुप्ता ने अपने प्रखर विचारों से हिंदी साहित्य में नई कोपलें खिलाने का काम भी किया है। देश विदेश में अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन दीपा का मन अल्मोड़ा में ही लगता है। कसार देवी की हवा और ब्राइट-इन-कॉर्नर का सन सेट इन्हें देवभूमि की सेवा में समर्पित कर चुका है। उत्तराखंड की ये बेटी आज हमारे लिए मिसाल बन चुकी है।