कनाडा में सुनहरे भविष्य की तलाश में गए आठ लाख पंजाबी स्थायी रिहायश (पीआर) के इंतजार में हैं। ताजा सर्वेक्षण के अनुसार कनाडा में नॉन परमानेंट रेजिडेंट्स के तहत (एनपीआर) 21,98,679 लोग रहते हैं, जिसमें 37 फीसदी (आठ लाख) पंजाबी हैं। हालात यह हैं कि बढ़ते तनाव से आठ लाख पंजाबी काफी चिंतित हैं। इनमें तीन लाख 20 हजार विद्यार्थी भी शामिल हैं। हालांकि कनाडा सरकार ने ऐसा कोई सख्त या तीखा कदम नहीं उठाया है, जिससे कि आठ लाख पंजाबी युवाओं के भविष्य पर तलवार लटके लेकिन मौजूदा तनाव ने इनकी चिंता बढ़ा दी है।
कनाडा में 2021 के मुकाबले एनपीआर में साल-दर-साल 46 फीसदी की वृद्धि हुई है। कनाडा के इमिग्रेशन अधिकारी खुद इस बात से काफी हैरान हैं, क्योंकि कनाडा में एनपीआर की संख्या 10 लाख से अधिक नहीं गई है। 2021 की जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि कनाडा में 925,000 से कम एनपीआर थे जबकि अब 21 लाख के पार हो गए हैं, जिनमें भारी संख्या में पंजाबी मूल के युवा शामिल हैं। पंजाबी मूल के लोगों ने अल्बर्टा की तरफ अधिक रुख किया है।कनाडा के सभी 13 प्रांतों और क्षेत्रों में अलबर्टा में अधिक वृद्धि हुई है, जोकि बाकी प्रांतों के मुकाबले चार फीसदी अधिक है और इनमें बहुसंख्यक पंजाबी हैं। अलबर्टा के इमिग्रेशन कारोबारी परविंदर सिंह मोंटू का कहना है कि अलबर्टा में नियम काफी नरम हैं और यहां पर पीआर आसान है। इसलिए पंजाबी युवाओं का भारी समूह स्टडी करने के बाद वर्क परमिट लेकर अलबर्टा आ जाता है। यहां पर ओंटारियो व बीसी के मुकाबले में जल्दी पीआर मिलती है।
लोगों ने बताया दर्द
वर्क परमिट पर कनाडा में काम कर रहे प्रज्जवल मल्होत्रा का कहना है कि चिंता होना स्वभाविक है। लाखों रुपये खर्च कर पहले कनाडा में पढ़ाई की और अब तीन साल के वर्क परमिट पर कार्य कर रहा हूं। इसके बाद पीआर का आवेदन करना है। आगे कनाडा व भारत के रिश्ते कैसे होते हैं, इसे लेकर नींद उड़ चुकी है।
कनाडा के टोरंटो में रियल एस्टेट का कारोबार करने वाले सुमित सिंह का कहना है कि यहां पर एनपीआर में आठ लाख के करीब पंजाबी हैं। यहां पर काफी तनाव है। भारत व कनाडा के रिश्तों में अगर सुधार नहीं हुआ तो भविष्य खतरे में पड़ सकता है।