जहां भूतों का खौफ वहां सीएम योगी ने यूं बिताई एक रात…फिर बताया सन्नाटे में क्या हुआ …

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आगरा :सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने आगरा के सर्किट हाउस से जुड़े मिथक फिक्की के सम्मेलन में जब उजागर किए तो लोगों की रुचि सर्किट हाउस के बारे में जानने के लिए बढ़ गई। ब्रिटिशकाल में साल 1900 में बनकर तैयार हुआ आगरा का सर्किट हाउस अपने आप में रहस्यों और रोमांच की कई दास्तां को समेटे हुए है। 

ब्रिटिशकाल में आगरा के कमिश्नर की बेटी ने भूतों पर आधारित अपनी काल्पनिक कहानियों का उपन्यास लिखा तो उसके बाद चर्चाएं चल निकलीं। अमेरिकी पब्लिशर ने ब्रिटिश कमिश्नर की बेटी के इस उपन्यास को प्रकाशित किया था। आजादी के बाद सर्किट हाउस में भूतों से जुड़े किस्से कहानियां कम ही सुनाई दीं।

वर्ष 1899 में लॉर्ड कर्जन ने कराया था निर्माण

सिविल सोसायटी के सदस्य, वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना के मुताबिक साल 1899 में लॉर्ड कर्जन ने सर्किट हाउस का निर्माण शुरू कराया था, जो एक साल में बनकर तैयार हुआ। साल 1900 से यहां ब्रिटिश अधिकारी और फिर आजादी के बाद संवैधानिक पदों पर तैनात रहे अधिकारी, नेता आते रहे हैं। जिस जगह पर सर्किट हाउस बना है, वह पहले पोलो का मैदान था। 

ब्रिटिशकाल में कोठी मीना बाजार में ही लेफ्टिनेंट गवर्नर का निवास था, लेकिन बाहर से आने वाले बड़े ब्रिटिश अधिकारियों के रुकने के लिए कोई जगह नहीं था। तब पोलो के मैदान में सर्किट हाउस बनाया गया। यहां फ्रेंच घुड़सवार सेना रहती थी, जिसे कर्नल जेम्स स्किनर ने तैयार किया था।

छत पर चढ़कर चौ. चरण सिंह ने देखा था नजारा

मुख्यमंत्री के रूप में आगरा के सर्किट हाउस में चौ. चरण सिंह से लेकर नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह, कल्याण सिंह आदि आ चुके हैं, लेकिन चौ.चरण सिंह जब सर्किट हाउस में रुके तो सुईट नंबर एक की सभी खिड़कियों को खोलकर ही सोए। सुबह उठते ही वह टहलने के बाद इसकी छत पर चढ़ गए थे। जहां से उन्होंने हरियाली का नजारा देखा था। चार सुईट वाले इस सर्किट हाउस के पास शानदार लैंड स्केपिंग है, जो लॉर्ड कर्जन की इच्छा पर तैयार की गई थी। यह देश के सबसे प्राचीन सर्किट हाउस में से एक है।

सीएम के लिए आगरा मनहूस, टूटा मिथक

दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश के प्रमुख औद्योगिक संगठन फिक्की की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने आगरा के सर्किट हाउस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आगरा के सर्किट हाउस में भूत का खौफ दिखाकर रुकने नहीं दिया जाता था। इस पर उन्होंने अफसरों से कहा कि वह आगरा के सर्किट हाउस में ही ठहरेंगे। वह भूतों के साथ संवाद करेंगे। वह रात में रुके और भूतों की चहलकदमी का मिथक तोड़ा। 


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