चांद को हर किसी को करीब से देखना है.चांद की बातें,,,हम अपने बचपन से ही सुनते आ रहे हैं.बॉलीवुड की फिल्मों में चांद को लेकर एक से एक गजब के गाने बनाए गए है,जैसे चांद के पार चलो,चांद सिफारिश…तेरे वास्ते फलक से मैं चांद लाउंगा..और भी न जाने क्या-क्या…चांद हर देश के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है, हर देश चांद पर जाना चाहता हैं. और वहां पर अपनी छाप छोड़ना चाहता है.
चांद पर जाने की होड़ आज से नहीं…बरसों से चलती आ रही है.लोगों के अंदर चांद को लेकर एक अलग ही क्रियोसिटी है.कि आखिर चांद,हमारी पृथ्वी की तरह दिखता है.हमारी धरती की तरह ही,,,,चांद की धरती है. क्या आने वाले सैकड़ों सालों में चांद पर जीवन संभव है.क्या चांद पर कितना पानी मिल सकता है.और भी कई तरीके के सवाल हैं.जिनको जानने के लिए हर देश के स्पेस साइंटिस्ट अपना-अपना मिशन लाते रहते हैं. और वो उस मिशन को सफल बनाने में लगते रहते हैं.कहा जाता है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी हो सकता है. चांद के अंदर कोल्ड ट्रैप भी बने हुए है. बता दें कि इंसानों ने करीब 50 साल पहले चांद पर कदम रखा था. NASA के अपोलो-11 मिशन के जरिए 3 एस्ट्रोनॉट्स को चांद पर भेजा गया था. नील आर्मस्ट्रांग वो पहले इंसान थे जिन्होंने चांद पर सबसे पहले अपना कदम रखा था.इस मिशन को उस वक्त लाइव दिखाया गया था. इंसानी दुनिया के लिए उस दौर में ये बड़ा ही ऐतिहासिक पल था.वहां पर जाने के बाद ये एस्ट्रोनॉट्स अपने देश का झंड़ा भी लगा देते हैं.जो आज भी वहां पर मौजूद हैं.
वैज्ञानिकों के हिसाब से चांद पर इंसानों के लिए बहुत कुछ हो सकता है, और इसी होड़ में हर देश अपना मिशन moon जल्दी जल्दी लॉन्च कर रहा है.ताकि वो दूसरे देशों को बता सकें कि चांद पर कितनी संभावनाएं मौजूद है.धरती के बाद सबसे ज्यादा रिसर्च चांद पर ही की गई है.