जानिए हमारी धरती के कितना करीब है चांद, और क्यों दिखाई देता है कभी-कभी दिन में ?

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धरती से दूर हमारा चांद कितना अच्छा और चमकीला दिखाई देता है. चांद की रोशनी, पृथ्वी और पृथ्वी वासियों के लिए साइंस के तरीके और अध्यात्म के तरीके से भी काफी महत्वपूर्ण है.

चंद्र कलाओं के बारे में आपने कई बार सुना होगा. लेकिन कभी आपने सोचा कि आसमान में दिखने वाला ये चांद हमारी धरती से कितना दूर है. और हम आखिर किस तरीके से चांद तक पहुंच सकते है. धरती तक पहुंचने में कितना वक्त लगता है.
हम सबने बचपन में तो साइंस पढ़ी ही है. लेकिन काफी वक्त तक ये याद रख पाना मुश्किल है हमारे पृथ्वी से चांद कितना दूर है.

करीब से देखने में चांद किस तरह का दिखता है.चांद इतना ज्यादा तमकता क्यों है वगैरह,वगैरह….

साइंस के जानकार और वैज्ञानिकों के थ्योरी के हिसाब से चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी 3,84,400 किमी है. और प्रकाश की गति जो होती है.वो 3 लाख किमी प्रति सेकंड होती है.बता दें कि चांद की रोशनी धरती तक सिर्फ 1.3 सेकेंड में पहुंच जाती है.

अब रोशनी वाली इस थ्योरी को थोड़ा ठीक से समझने की कोशिश करते हैं.
चंद्रमा की सतह से टकराकर ही सूरज का प्रकाश धरती तक पहुंचता है. इसी वजह से रात में चंद्रमा चमकता हुआ दिखाई देता है. सूरज का रोशनी ही परिवर्तित होकर हमारे ग्रह पृथ्वी तक पहुंचती है.

दूसरी ओर सूर्य हमारी पृथ्वी से 14.96 करोड़ किमी दूर है.सूरज की रोशनी को धरती तक पहुंचने में 8 से 10 सेकेंड तक का वक्त लगता है.धरती से चांद की तीव्रता बहुत कम होने के कारण हमें किसी तरीके का नुकसान नहीं पहुंचाती है.

लेकिन कई बार ऐसा भी होता देखा गया है कि दिन में भी चांद दिखाई देने लगता है. इसे खगोलीय घटना के अन्तर्गत भी माना जाता है. आसान सी भाषा में इसको भी समझे तो जब सूर्य का रोशनी कम होती है. तो हमें चांद दिन में दिखाई देता है. ऐसी घटना ज्‍यादातर बार सूरज के उदय और अस्त होने के वक्त यानी भोर या शाम के समय होती है.इसलिए हमें भ्रम होता है कि चांद कभी-कभी दिन में भी निकलता है.

सूर्य के प्रकाश के परावर्तित होने के चलते ही चांद हमें दिन में दिखाई देता है.


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