पलायन का दंश झेल रहे हैं मृतप्राय पारंपरिक जल स्रोत
जल संरक्षण अभियान के प्रत्यक्ष गवाह बने हैं अनेक जल स्रोत और स्थानीय नदियां
सम्मानित किए गए मोहन कांडपाल का प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में जिक्र कर चुके हैं
नई दिल्ली :उत्तराखंड में बारिश के पानी को बचाकर अपने परंपरागत जल स्रोतों को बचाने की मुहिम के विषय पर एक डॉक्यूमेंट्री “पानी बोओ – पानी उगाओ” का विमोचन सहपाठी फाउंडेशन द्वारा दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में किया गया। वर्षा जल संरक्षण पर कार्य करने वाले दो महानुभावों मोहन कांडपाल और शंकर सिंह बिष्ट का इस कार्यक्रम में अभिनंदन किया गया।
दुर्गम और पिछड़े पर्वतीय क्षेत्रों में बिना किसी सहायता के जुनून के साथ वर्षा जल संरक्षण पर कार्य कर रहे पेशे से शिक्षक मोहन कांडपाल जिन्होंने पानी बोवो पानी उगाओ आंदोलन की शुरुआत की, जिनके प्रभाव से यह अभियान लगभग पांच दर्जन गांवों का जन आंदोलन बन चुका है, साथ ही अल्मोड़ा की चौखुटिया घाटी के दुर्गम क्षेत्र में कार्य कर रहे 23 वर्षीय युवा शंकर सिंह बिष्ट अपने अभियान के द्वारा निरंतर इस विषय पर जनता का ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं।
सहपाठी फाउंडेशन द्वारा इन दोनों विभूतियों को सम्मानित किया गया, उनके कार्यों का वित्तचित्र प्रदर्शित किया गया और उनके अभियान, अनुभव और अपेक्षाओं को सुना गया। 30 वर्षों से वर्षा जल पर कार्य कर रहे मोहन कांडपाल के प्रयासों का मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी जिक्र कर चुके हैं। मोहन कांडपाल और शंकर सिंह बिष्ट बिना किसी आर्थिक मदद के अपने प्रयासों से जल संरक्षण कर अनेक मृत हो चुके जल स्रोतों को पुनर्जीवन दे चुके हैं। उन्होंने पहाड़ के लोगों द्वारा अपने गांव छोड़ने, खेती छोड़ने और अपने नैसर्गिक संसाधनों की उपेक्षा पर चिंता जताई। साथ ही आह्वान किया कि अपनी पूर्वजों की छाती को पुनः हरा भरा किया जा सकता है
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध भूगर्भ शास्त्री बीएन शर्मा ने की । संचालन इंडिया टीवी कि पत्रकार एंकर ज्योत्सना पाटनी ने किया। इस कार्यक्रम में दिल्ली के प्रतिष्ठित मीडिया कर्मियों के साथ शिक्षा, पैरामिलिट्री, सामाजिक आंदोलन सहित अनेक विधाओं के विद्वानों ने शिरकत की।
सहपाठी फाउंडेशन से जुड़े वरिष्ठ टीवी पत्रकार दिनेश कांडपाल ने कहा कि उत्तराखंड में काम कर रहे इन लोगों की बदौलत बारिश के पानी को रोकने की मुहिम जन आंदोलन बन रही है और हमारी महत्वपूर्ण उर्वरा भूमि नदी नालों में बहने से बच रही है, मगर इस अभियान को व्यापक फलक पर लाना होगा। भूगर्भ शास्त्री बी एन शर्मा ने अपने विचार साझा किए और इस अभियान उस समय की जरूरत बताया। वरिष्ठ पत्रकार और पर्वतीय सरोकारों से जुड़े चारू तिवारी ने कहा कि जब गांव हरे भरे थे, तब हमारे जल स्रोत हमारे जनजीवन के हिस्सा थे और हमारी सदानीरा नदियां उसकी प्रमाण थी । भाजपा प्रवक्ता सतीश लखेड़ा ने कहा की शिक्षा और रोजगार के लिए पलायन होना समय की आवश्यकता है किंतु हमें अपनी जिम्मेदारियों से पलायन नहीं करना चाहिए। दूरदर्शन न्यूज़ के चंद्रशेखर जोशी ने पर्वतीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार जल संरक्षण पर चर्चा की।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मीडिया समन्वयक एम एम सती ने कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में काम कर रही है और यहां आए विचारों को भी अपनी कार्यशैली में सम्मिलित करेगी।
कार्यक्रम में बीएसएफ के डीआईजी हंसा दत्त लोहानी, दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग में उपनिदेशक राजेश्वर कापड़ी, जामिया मिलिया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर भारती शर्मा, प्रसिद्ध फिल्म मेकर राकेश गौड़, वरिष्ठ टीवी पत्रकार संजय बिष्ट, पत्रकार संदीप जोशी, मेजर रोहित शर्मा, ज्योति बंगारी रावत, समाज सेवी निर्मला शर्मा, रणजीत गड़ाकोटी, खुशहाल सिंह रावत सहित अनेक गणमान्य पत्रकार, सहपाठी फाउंडेशन तथा पानी बोओ – पानी उगाओ अभियान के सहयोगी उपस्थित थे।