देहरादून:समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर पुरातत्व विभाग से जांच कराई जा रही है तो सभी हिंदू मंदिरों की भी जांच कराई जानी चाहिए। इनमें से अधिकतर मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं। यहां तक की बदरीनाथ धाम भी आठवीं शताब्दी तक बौद्ध मठ था। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान का उत्तराखंड मे ंचौतरफा विरोध देखने को मिल रहा है।
चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने बदरीनाथ धाम को लेकर सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का कड़ा विरोध किया। महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल,महासचिव डा. बृजेश सती ने कहा कि मौर्य को नसीहत दी कि वे पहले अध्ययन करें। उसके बाद ही अपना ज्ञान बांटे।
महापंचायत ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य धर्म की आड़ में अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। बदरीनाथ चार धामों में प्रमुख धाम है । जिसे मोक्ष का धाम भी कहा जाता है। यह धाम बौद्ध धर्म के अस्तित्व में आने के सबसे पहले से विख्यात है। आदि गुरु शंकराचार्य का प्रादुर्भाव पांचवीं सदी में हुआ था ।उनके द्वारा ही बदरीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था।
समाजवादी पार्टी के नेता की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण: सीएम धामी
करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र भू बैंकुठ श्री बदनीनाथ धाम पर समाजवादी पार्टी के नेता की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है। महाठगबंधन के एक सदस्य के रूप में समाजवादी पार्टी के एक नेता द्वारा दिया गया यह बयान कांग्रेस और उसके सहयोगियों की देश व धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है। यह विचार इन दलों के अंदर सिमी और पीएफआई की विचारधारा के वर्चस्व को भी प्रकट करता है।
बदरीनाथ धाम करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। समाजवादी पार्टी का चरित्र हमेशा से ही हिंदू विरोधी रहा है। वे हिंदुओं के धर्मस्थलों को विवादित बनाने की कोशिश करते हैं। सपा नेता का बयान निंदनीय है।– अजेंद्र अजय, अध्यक्ष, बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति