पिथौरागढ़ में मिली दुनिया में पाई जाने वाली सबसे बड़ी एटलस मौथ

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पिथौरागढ़। जिले में एटलस मौथ मिली है। यह विश्व में पाई जाने वाली सबसे बड़ी मौथ में से एक है। जिले में वन विभाग के सहयोग से नेशनल मौथ सप्ताह की शुरुआत हो गई है। विंग्स फाउंडेशन ने पहली बार नेशनल मौथ काउंट सीजन-एक शुरू किया है। इसके तहत विंग्स फाउंडेशन 22 से 30 जुलाई तक चलने वाले नेशनल मौथ सप्ताह में जिले में मिलने वाले मौथ की खोजबीन कर उनकी जानकारी जुटाएगा। पिथौरागढ़, मुनस्यारी, मूनाकोट, डीडीहाट, अस्कोट क्षेत्र में फाउंडेशन के सदस्य मौथ की तलाश करेंगे।

विश्व में पाई जाती हैं 16 हजार प्रजातियां
विश्व में मौथ की 16 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 10 हजार प्रजातियां भारत में हैं। पिथौरागढ़ में पहली बार मौथ के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। विंग्स फाउंडेशन के सदस्यों ने पहले दिन पिथौरागढ़ में एटलस मौथ को देखा है।

एटलस मौथ
इसे एंपरर ऑफ डार्कनेस भी कहा जाता है। इनकी उम्र 20 से 25 दिन तक होती है। इसके पंखों का फैलाव 24 सेमी तक होता है, जबकि पंखों की सतह 124 इंच होती है। यह अपने अंडे नींबू, अमरूद और दालचीनी के पौधों पर देती है। इसके लार्वा अपने बचाव के लिए एक गंध स्प्रे करते हैं जो 12 इंच तक जाता है। यह एक तेज गंध होती है। इससे यह छिपकलियों और चींटी से अपना बचाव करते हैं।

पंखों के किनारे पर कोबरा के सिर जैसी आकृति

पिथौरागढ़। एटलस के दोनों पंखों के किनारे पर कोबरा के सिर जैसी आकृति बनी होती है। इस आकृति के कारण परभक्षी इनसे दूर ही रहते हैं। सबसे खास बात एटलस मौथ कुछ खाती नहीं है, इसका मुंह नहीं होता है। इनके कोकून से रेशम निकलता है जिससे पर्स, टाई और शर्ट आदि बनाए जाते हैं।

ये जुड़े हैं अभियान से

मुनस्यारी में ब्रजेश धर्मशक्तू, चंदन कुमार, पिथौरागढ़ में राजू भंडारी, दीपक कल्पासी मौथ की खोज करेंगे। इसके अलावा अन्य लोग अभियान में सहयोग कर रहे हैं।

वाट्सएप या मेल कर सकते हैं फोटो

पिथौरागढ़। नेशनल मौथ सप्ताह के दौरान लोग अपने क्षेत्र में पाई जाने वाली मौथ की फोटो भेज सकते हैं। लोग 9756202345 पर फोटो वाट्सएप और wingsfoundation@gmail.com पर मेल कर सकते हैं।
कोट

पिथौरागढ़ में पहली बार नेशनल मौथ काउंट सीजन वन की शुरुआत की गई है। जिले में मिलने वाली मौथ के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। जो भी व्यक्ति अपने क्षेत्र में मिलने वाली मौथ की फोटो या जानकारी देगा उसे प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इसस पहले फाउंडेशन लगातार बटरफ्लाई काउंट सीजन चार का सफल संचालन कर चुका है। -जगदीश भट्ट, विंग्स फाउंडेशन, निदेशक।


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