ऊपर का दूध पीने वाले बच्चों की बोतलें ढंग से साफ नहीं की जा रही हैं। उल्टी-दस्त के 70 फीसदी रोगी बच्चों के मर्ज का यही कारण है। गर्मी में बोतलों में जल्दी संक्रमण हो जाता है। इससे दूध पीने पर उल्टी दस्त और डायरिया हो जा रहा है। पांच से कम उम्र के बच्चे ऐसे हैं जिन्हें डायरिया के बाद मिर्गी जैसे झटके आने लगते हैं। रोगियों का इलाज हैलट के बालरोग अस्पताल समेत अन्य विशेषज्ञों के यहां चल रहा है।
बोतल से संक्रमण बचेगा। 10-12 साल की उम्र के बच्चे बाहर संक्रमित खाद्य पदार्थों का सेवन कर ले रहे हैं। इससे वे संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। हैलट ओपीडी में झटके वाले बच्चे आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डायरिया के बाद कुछ बच्चों को झटके आने लगते हैं। लेकिन बाद में इलाज से ठीक हो जाते हैं। इस समय वायरल और बैक्टीरिया दोनों तरह के संक्रमण हो रहे हैं। इससे उल्टी-दस्त और डायरिया बढ़ रहा है।
यह करें-
बच्चे को जितनी बार दूध पिलाएं, खौलते पानी में बोतल उबालें।- बोतल की निपल निकालकर ढंग से साफ कर लें।- बोतल में उतना ही दूध डालें जितना बच्चा पी ले।- एक बार का बचा दूध दुबारा बच्चे को मत पिलाएं।- बच्चे को जुकाम-बुखार हो तो पंखा-कूलर बंद न करें।- पंखा-कूलर बंद करने से बच्चो को हाइपरथर्मिया हो सकता है।- बाहर खुले बिक रहे खाद्य पदार्थ का सेवन न करें।- डिब्बा बंद बिक रहे खाद्य पदार्थ का सेवन न करें